बस 120 रुपए खर्च करें और लगाएं ये पेड़, प्रति एकड़ 5 से 6 लाख की कमाई तय
लहसुन की खेती के टिप्स: कई किसान खेती में तरह-तरह की तकनीक अपनाते हैं। इससे किसानों को अच्छी पैदावार मिलती है। स्थानीय तकनीक अपनाकर लहसुन की खेती की जा सकती है और अच्छी कमाई की जा सकती है।
मध्य प्रदेश के गुना ज़िले के अजरोदा गाँव के किसान जितेंद्र नागर ने लहसुन की खेती में स्थानीय तकनीक का इस्तेमाल किया है, जिससे उत्पादन दो से ढाई गुना तक बढ़ रहा है। पहले एक एकड़ खेत में लहसुन की पैदावार 8 से 9 क्विंटल होती थी, लेकिन अब 18 से 20 क्विंटल तक फसल हो रही है। नागर की इस तकनीक ने क्षेत्र के कई अन्य किसानों को भी आकर्षित किया है, जो अब उनकी राह पर चलकर लहसुन की खेती करने लगे हैं।
खेत की गहरी जुताई
जितेंद्र नागर पिछले एक दशक से लहसुन की खेती कर रहे हैं, लेकिन तीन साल पहले उन्होंने स्थानीय तरीकों को अपनाने का फैसला किया। उन्होंने पाँच महीने पहले खेत की गहरी जुताई शुरू की और खुद तैयार खाद और बीज का इस्तेमाल शुरू किया। सिंचाई पर विशेष ध्यान देते हुए, उन्होंने फसल को दिन में सात से आठ बार पानी देना शुरू किया। इन प्रयासों का असर साफ़ दिखाई देने लगा और उत्पादन में भारी वृद्धि हुई।
दोहरा उत्पादन
अब वे प्रति एकड़ 18 से 20 क्विंटल लहसुन निकाल रहे हैं, जबकि आसपास के किसान अभी भी 9 से 10 क्विंटल तक ही पहुँच पाते हैं। उनकी सफलता को देखकर गाँव के दूसरे किसान भी इस तकनीक को अपनाने लगे हैं। अजरोड़ा गाँव की कुल आबादी लगभग 1200 है और अब यहाँ के ज़्यादातर किसान लहसुन की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं।
महाकाल लहसुन
वर्तमान में उस गाँव के किसान लगभग 300 एकड़ में लहसुन की खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें प्रति एकड़ लगभग एक लाख रुपये का मुनाफ़ा हो रहा है। यह लहसुन अब राजस्थान की चिप्पाबारावद और छबड़ा मंडियों में 'अजरोदास महाकाल लहसुन' के नाम से लोकप्रिय है। इसकी गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि यह ऊटी और दिल्ली-राजस्थान के सुपर शंकर लहसुन को कड़ी टक्कर दे रहा है।
वर्षा से क्षति
पहले गाँव में गेहूँ, चना, सरसों और धनिया जैसी फसलें उगाई जाती थीं, जो मौसम पर निर्भर थीं, लेकिन लहसुन एक सुरक्षित विकल्प के रूप में उभरा है। यह ज़मीन के नीचे उगने वाली फसल है, इसलिए तूफ़ान या बारिश से नुकसान का कोई ख़तरा नहीं है। यही वजह है कि किसान अब पारंपरिक फसलों की बजाय लहसुन की ओर तेज़ी से रुख कर रहे हैं।
लहसुन की खेती
इस फसल में मूल्य अनिश्चितता बनी रहती है। पिछले साल लहसुन का भाव 35,000 रुपये प्रति क्विंटल तक था। लेकिन इस साल यह भाव घटकर 6-7,000 रुपये रह गया है। इसके बावजूद, किसान इसे एक साथ नहीं बेचते। बल्कि भंडारण और प्रसंस्करण के बाद, वे इसे साल भर टुकड़ों में बेचते हैं। इससे आय स्थिर रहती है। किसानों को कम से कम पाँच साल के लिए लहसुन की खेती की रणनीति बनानी होगी।
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