Jharkhand Politics : एक चुनाव जो सरकार के लिए गले की फांस बन गया, झारखंड में आखिर कब बजेगा चुनावी बिगुल?

Post

News India Live, Digital Desk: Jharkhand Politics : झारखंड में शहरों की सरकार यानी नगर निकायों के चुनाव को लेकर मामला गरमा गया है। चुनाव में हो रही देरी पर अब झारखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है। अदालत ने हेमंत सोरेन सरकार से सीधे और कड़े सवाल किए हैं कि आखिर चुनाव कराने में इतनी देरी क्यों हो रही है? अदालत की इस नाराजगी ने राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

अदालत ने क्यों दिखाई सख्ती?

हाईकोर्ट ने इस मामले पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि चुनाव समय पर कराना संवैधानिक जिम्मेदारी है और इसे टाला नहीं जा सकता।अदालत ने यहां तक कह दिया कि बार-बार समय दिए जाने के बाद भी सरकार चुनाव कराने में नाकाम रही है। यह मामला इतना गंभीर हो गया कि अदालत को राज्य के मुख्य सचिव को तलब करना पड़ा और व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट का कहना है कि जब कार्यकाल खत्म हो चुका है तो चुनाव कराने में देरी क्यों की जा रही है?

सरकार क्यों दे रही है देरी की दलील?

वहीं, राज्य सरकार का कहना है कि वह चुनाव कराना चाहती है, लेकिन ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करनी जरूरी है, जिस वजह से देरी हो रही है।सरकार का पक्ष है कि वह सभी वर्गों को उनका हक देकर ही चुनाव कराना चाहती है। हालांकि, इस दलील से कोर्ट संतुष्ट नजर नहीं आ रहा है। विपक्ष भी सरकार पर जानबूझकर चुनाव टालने का आरोप लगा रहा है।

आम जनता पर क्या पड़ रहा है असर?

इन चुनावों के टलने का सीधा असर शहरों के विकास पर पड़ रहा है। कई नगर निकायों का कार्यकाल खत्म हुए लंबा समय हो गया है और वहां का काम प्रशासकों के भरोसे चल रहा है। चुने हुए प्रतिनिधि न होने से विकास के कई काम रुके हुए हैं और केंद्र से मिलने वाली आर्थिक मदद पर भी इसका असर पड़ रहा है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार अदालत के सामने क्या जवाब देती है और शहरों को उनकी अपनी सरकार कब तक मिल पाती है।

--Advertisement--