Jharkhand Cough Syrup Ban : सिर्फ सर्दी की दवा नहीं, धीमा जहर बिक रहा था दुकानों पर? हाई कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार
News India Live, Digital Desk : आज झारखंड से एक ऐसी खबर आई है जो हर माता-पिता के लिए जानना बेहद जरूरी है। हम और आप अक्सर हल्की सी खांसी होने पर मेडिकल स्टोर जाते हैं और एक 'कफ सिरप' (Cough Syrup) उठा लाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही कफ सिरप झारखंड में कई युवाओं और स्कूली बच्चों के लिए 'बर्बादी की बोतल' बन चुकी थी?
जी हाँ, झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने इस गंभीर मुद्दे पर अब अपना सख्त डंडा चलाया है। कोर्ट ने साफ कह दिया है "अब बस बहुत हो गया!"
हाई कोर्ट का सख्त फरमान: 'पर्ची दिखाओ, तभी दवा मिलेगी'
अदालत ने राज्य सरकार और ड्रग कंट्रोलर को आड़े हाथों लेते हुए एक स्पष्ट आदेश दिया है: बिना डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन (Prescription) के अब राज्य में कोई भी दुकानदार कफ सिरप नहीं बेच सकता।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की बेंच ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है। कोर्ट का कहना है कि ये दवाइयां इलाज के लिए बनी थीं, लेकिन इनका इस्तेमाल अब खुलेआम 'नशे' (Intoxication) के लिए हो रहा है, जो कि बहुत खतरनाक ट्रेंड है।
आखिर कोर्ट को क्यों आना पड़ा बीच में?
दरअसल, यह पूरा मामला एक जनहित याचिका (PIL) से शुरू हुआ। सुनील कुमार महतो नाम के याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कैसे राजधानी रांची और आसपास के इलाकों में मेडिकल स्टोर्स धड़ल्ले से बिना किसी पर्ची के कफ सिरप और नशीली दवाइयां बेच रहे हैं।
हैरान करने वाली बात तो ये है कि इसके सबसे बड़े शिकार स्कूली बच्चे हो रहे हैं। छोटी उम्र में ही बच्चों को कफ सिरप के जरिये नशे की लत लगाई जा रही है। कोर्ट ने माना कि यह एक गंभीर सामाजिक अपराध जैसा है और इसे तुरंत रोकना होगा।
सिर्फ आदेश नहीं, अब होंगे 'छापे' (Raids)
हाई कोर्ट ने सिर्फ कागज पर आदेश नहीं दिया, बल्कि ग्राउंड लेवल पर एक्शन भी मांग लिया है। कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को निर्देश दिया है कि वे अपनी टीम के साथ निकलें और दवा दुकानों और फार्मा कंपनियों पर सरप्राइज रेड (छापेमारी) करें।
अब अधिकारियों को मेडिकल स्टोर्स के स्टॉक रजिस्टर चेक करने होंगे कितनी दवा आई और किसे बेची गई, इसका पूरा हिसाब देना होगा। अगर किसी दुकान पर गड़बड़ी मिली, तो उसका लाइसेंस तो जाएगा ही, साथ ही कानूनी कार्रवाई भी पक्की समझिए।
अगली सुनवाई 12 दिसंबर को
हाई कोर्ट ने सरकार से तीन हफ्ते के अंदर जवाब माँगा है कि उन्होंने इस आदेश के बाद क्या कदम उठाए। यानी 12 दिसंबर को जब अगली सुनवाई होगी, तो अधिकारियों को बताना होगा कि कितने छापे पड़े और कितनों की दुकानें बंद हुईं।
दोस्तों, यह फैसला हम सबके लिए एक राहत की खबर है। नशा एक ऐसी दीमक है जो हमारी युवा पीढ़ी को खोखला कर रहा है। कम से कम अब मेडिकल स्टोर्स पर इतनी आसानी से यह 'जहर' नहीं मिल पाएगा।
आप हाई कोर्ट के इस कदम को कितना सही मानते हैं? कमेंट करके जरूर बताएं!
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