Janmashtami 2025: मथुरा-वृंदावन के इन पांच मंदिरों में दिखता है कान्हा के जन्मोत्सव का असली उल्लास
- by Archana
- 2025-08-12 14:47:00
Newsindia live,Digital Desk: कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है जिसे पूरे भारत में, विशेषकर मथुरा और वृंदावन में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यदि आप इस जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की जन्मभूमि की आध्यात्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन अवश्य करें, जहां इस उत्सव की छटा देखते ही बनती है।
मथुरा, जिसे भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है, जन्माष्टमी के दौरान एक अलौकिक दुनिया में बदल जाती है। यहां स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर वह स्थान है जहां भगवान का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी पर इस मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है और मध्यरात्रि में विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक के साथ कान्हा का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर भी अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, जिसका निर्माण ग्वालियर के एक कोषाध्यक्ष ने करवाया था। जन्माष्टमी के दौरान यहां विशेष आयोजन होते हैं, जिसमें भगवान कृष्ण की काले संगमरमर की मूर्ति को दूध, दही से स्नान कराया जाता है और फिर पालने में झुलाया जाता है।
वृंदावन, कान्हा की बाल लीलाओं की स्थली, जन्माष्टमी के दौरान कृष्ण भक्ति के रस में डूब जाती है। यहां का बांके बिहारी मंदिर देश-दुनिया में प्रसिद्ध है।इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां साल में केवल जन्माष्टमी के दिन ही मंगला आरती होती है। इस विशेष आरती के दर्शन के लिए आधी रात को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
वृंदावन में स्थित प्रेम मंदिर अपनी आधुनिक भव्यता और शाम के समय होने वाले लाइट एंड साउंड शो के लिए जाना जाता है। सफेद इतालवी संगमरमर से बना यह मंदिर जन्माष्टमी की रात में रंग-बिरंगी रोशनी से नहा उठता है और इसकी सुंदरता देखते ही बनती है।
इसके अलावा, इस्कॉन मंदिर भी वृंदावन का एक प्रमुख आकर्षण है, जिसे श्री कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं और कीर्तन, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, जिससे उत्सव का माहौल और भी भक्तिमय हो जाता है।
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