Bollywood Fashion : टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में जान्हवी कपूर का साड़ी वाला जादू, पुराने कश्मीरी जैकेट में जीता दिल
News India Live, Digital Desk: Bollywood Fashion : जब बात फैशन की आती है तो जान्हवी कपूर हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करती हैं. इस बार टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (TIFF) 2025 में उन्होंने अपने साड़ी स्टाइल से सबको हैरान कर दिया. यह सिर्फ एक आउटफिट नहीं था, बल्कि भारतीय परंपरा और कारीगरी को दुनिया के सामने पेश करने का एक खूबसूरत तरीका था. उनके इस लुक ने साबित कर दिया कि स्टाइल के लिए हमेशा नए और महंगे कपड़ों की जरूरत नहीं होती, कभी-कभी पुरानी तिजोरी में रखी चीजें भी कमाल कर सकती हैं.
कशीदे वाली रेशम साड़ी और 80 के दशक की जैकेट
जान्हवी ने इस मौके के लिए डिजाइनर जोड़ी अबू जानी संदीप खोसला की तैयार की हुई एक बेहद खूबसूरत शिफॉन साड़ी पहनी थी. इस साड़ी पर गर्म टोन वाले रेशमी धागों से हाथों से की गई फूलों की महीन कढ़ाई थी साड़ी के साथ उन्होंने मैचिंग का बैकलेस ब्लाउज पहना, जिस पर भी वैसी ही कारीगरी की गई थी.
लेकिन इस पूरे लुक की सबसे खास बात थी उनकी जैकेट. जान्हवी ने साड़ी के ऊपर 1980 के दशक की एक विंटेज मेन्स जामावार जैकेट पहनी थी. इस पुरानी जैकेट को डिजाइनर्स ने हाथ की कढ़ाई वाले बॉर्डर लगाकर एक नया रूप दिया था. इसके साथ ही उन्होंने अपनी स्टाइलिस्ट रिया कपूर के निजी कलेक्शन से एक एंटीक जामावार शॉल भी ओढ़ रखी थी, जिसके किनारों पर रेशम के धागों से बने टैसल लगे थे इस तरह उन्होंने कश्मीर की पुरानी और खूबसूरत जामावार कला को एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश किया. उनके इस स्टाइल में परंपरा, इतिहास और फैशन का एक अनोखा संगम देखने को मिला.
सोने सी चमकती प्राडा की ड्रेस
अपने देसी लुक के अलावा, जान्हवी एक और अलग अंदाज में नजर आईं. उन्होंने प्राडा के स्प्रिंग 2004 कलेक्शन की एक पुरानी गोल्डन ड्रेस पहनी.यह एक स्ट्रैपलेस ड्रेस थी जिसमें भारतीय साड़ी जैसा सिल्क इस्तेमाल किया गया था, लेकिन उसका स्टाइल वेस्टर्न था इस ड्रेस पर भी पारंपरिक भारतीय कारीगरी की झलक देखने को मिल रही थी. इस ड्रेस के ऊपर उन्होंने एक मैचिंग कोट भी डाला हुआ था. अपने इस वेस्टर्न लुक को जान्हवी ने कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित सुनहरे रंग की हील्स पहनकर एक देसी टच दिया
कुल मिलाकर, टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में जान्हवी कपूर ने अपने फैशन से यह संदेश दिया कि भारतीय कारीगरी और परंपरा को अगर सही तरीके से पेश किया जाए, तो यह दुनिया के किसी भी बड़े मंच पर अपनी छाप छोड़ सकती है.
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