Jammu and kashmir : रक्षक ही बना भक्षक ,कलयुगी बाप की वो करतूत जिसे सुनकर कांप जाएगी आपकी रूह
News India Live, Digital Desk: रिश्तों और इंसानियत को तार-तार कर देने वाले एक ऐसे मामले में फैसला आया है, जिसे सुनकर किसी की भी रूह कांप जाए। जम्मू-कश्मीर की एक अदालत ने एक ऐसे हैवान बाप को अपनी आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई है, जिसने अपनी ही नाबालिग बेटी को दो सालों तक अपनी हवस का शिकार बनाया।
यह फैसला सुनाते हुए जज ने इस अपराध को "विश्वास की हत्या" बताया। यह कहानी एक ऐसी बच्ची की है, जिसके लिए उसका पिता ही सबसे बड़ा राक्षस बन गया और मां ने सब कुछ जानते हुए भी अपनी आंखों पर पट्टी बांधे रखी।
क्या थी यह दिल दहला देने वाली कहानी?
यह खौफनाक दास्तां 2020 में सामने आई, जब एक नाबालिग बच्ची ने हिम्मत जुटाकर अपने ही पिता के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उसने पुलिस को जो बताया, वह किसी के भी पैरों तले जमीन खिसका देने के लिए काफी था।
- दो साल का नर्क: बच्ची ने बताया कि उसका पिता, जो घर का रक्षक माना जाता है, पिछले दो सालों से लगातार उसके साथ बलात्कार कर रहा था।
- जान से मारने की धमकी: जब भी वह विरोध करती या किसी को बताने की सोचती, तो वह हैवान पिता उसे जान से मारने की धमकी देकर चुप करा देता।
- मां ने भी तोड़ा विश्वास: इस कहानी का सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि बच्ची की मां को अपने पति की इस घिनौनी करतूत के बारे में सब कुछ पता था। लेकिन अपनी बेटी का साथ देने की बजाय, उसने समाज और लोक-लाज के डर से बच्ची को ही चुप रहने के लिए मजबूर किया। जिस मां को उसका सहारा बनना था, वही उसके लिए एक और दीवार बन गई।
यह जुल्म का सिलसिला तब थमा, जब वह बच्ची किसी तरह अपनी चाची के घर पहुंची और कांपते हुए अपनी आपबीती सुनाई। इसके बाद परिवार के बाकी लोगों की मदद से मामला पुलिस तक पहुंचा।
कोर्ट ने सुनाई आखिरी सांस तक की कैद
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ऊधमपुर) दिनेश गुप्ता ने इस मामले को "दुर्लभ से दुर्लभतम" श्रेणी के बेहद करीब माना। उन्होंने अपने फैसले में कहा, "एक पिता का अपनी ही बेटी के साथ ऐसा करना विश्वास की सबसे बड़ी हत्या है। यह अपराध सिर्फ शरीर पर नहीं, बल्कि आत्मा पर भी गहरे जख्म छोड़ जाता है।"
अदालत ने उस कलयुगी बाप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसका अर्थ है कि वह अपनी प्राकृतिक मृत्यु तक जेल से बाहर नहीं आ सकेगा। साथ ही उस पर 60,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया, जिसमें से 50,000 रुपये पीड़िता को उसके पुनर्वास के लिए दिए जाएंगे।
क्यों नहीं मिली मौत की सजा?
कोर्ट ने माना कि यह अपराध फांसी की सजा के लायक है, लेकिन कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए मौत की सजा नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि दोषी का कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वह परिवार में अकेला कमाने वाला था।
यह फैसला उन सभी के लिए एक सबक है जो रिश्तों की आड़ में ऐसे घिनौने अपराधों को अंजाम देते हैं। कानून के हाथ बहुत लंबे हैं और एक न एक दिन हर अपराधी को उसके किए की सजा जरूर मिलती है।
--Advertisement--