Jaipur News : कजाकिस्तान में आया ब्रेन स्ट्रोक, 3000 KM दूर जयपुर एयरलिफ्ट कर लाए अपनों' की जिंदगी

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News India Live, Digital Desk: कहते हैं कि अपने तो अपने होते हैं. इस बात को सच कर दिखाया है राजस्थान के एक परिवार ने, जो अपने सदस्य की जान बचाने के लिए उसे 3000 किलोमीटर दूर कजाकिस्तान से एयरलिफ्ट कर जयपुर ले आया. यह कहानी सिर्फ मेडिकल इमरजेंसी की नहीं, बल्कि परिवार के प्यार और हिम्मत की भी है, जिसने सात समंदर पार भी हार नहीं मानी.

रोजगार की तलाश में गए थे कजाकिस्तान

मामला राजस्थान के शेखावाटी इलाके के रहने वाले 40 वर्षीय बनवारी लाल से जुड़ा है. बनवारी अपने परिवार का पेट पालने के लिए मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान में नौकरी करने गए थे. सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कुछ दिन पहले अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई. उन्हें तुरंत वहां के एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें गंभीर ब्रेन स्ट्रोक आया है.

भाषा और इलाज की चुनौती बनी बाधा

कजाकिस्तान में बनवारी का इलाज तो शुरू हो गया, लेकिन परिवार के सामने दोहरी चुनौती थी. एक तो वहां की भाषा अलग होने के कारण डॉक्टरों से ठीक से बात नहीं हो पा रही थी, दूसरा, परिवार को वहां के इलाज पर पूरी तरह से भरोसा नहीं हो पा रहा था. उन्हें डर था कि कहीं इलाज में कोई कमी न रह जाए. परिवार चाहता था कि बनवारी का इलाज अपने देश, अपनी मिट्टी और अपने लोगों के बीच हो.

परिवार ने लिया एयरलिफ्ट करने का साहसी फैसला

इसके बाद परिवार ने यह साहसी और महंगा फैसला लिया. उन्होंने बनवारी को कजाकिस्तान से भारत एयरलिफ्ट करने का निर्णय किया. यह प्रक्रिया बिल्कुल भी आसान नहीं थी. इसमें कई तरह की कागजी कार्रवाइयों के साथ-साथ एक बड़ी रकम का भी इंतजाम करना था. लेकिन परिवार ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने सभी बाधाओं को पार करते हुए एक विशेष मेडिकल टीम के साथ एयर एम्बुलेंस का इंतजाम किया.

यह एयर एम्बुलेंस बनवारी को लेकर कजाकिस्तान से रवाना हुई और करीब 3000 किलोमीटर का लंबा सफर तय कर जयपुर एयरपोर्ट पर उतरी. एयरपोर्ट पर पहले से ही एक एम्बुलेंस तैयार खड़ी थी, जहां से उन्हें तुरंत जयपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया.

फिलहाल, जयपुर में डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम की देखरेख में बनवारी का इलाज चल रहा है. परिवार को अब उम्मीद है कि वह जल्द ही ठीक होकर अपने पैरों पर खड़ा हो पाएगा. यह घटना दिखाती है कि जब अपनों की जान पर बन आती है, तो कोई भी दूरी या मुश्किल बड़ी नहीं होती.

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