इजरायल ने सोमालीलैंड को देश मानकर सबको चौंकाया, अफ्रीकी यूनियन क्यों हुआ खफा? जानिए पूरा मामला

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News India Live, Digital Desk: हाल ही में इजरायल ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और खासकर अफ्रीकी यूनियन (African Union) को हैरानी में डाल दिया है. इजरायल ने सोमालिया से अलग हुए स्व-घोषित सोमालीलैंड (Somaliland) को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दे दी है. इजरायल का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है, जब खुद अफ्रीकी यूनियन समेत दुनिया के ज्यादातर देश सोमालीलैंड को मान्यता नहीं देते. यही वजह है कि अफ्रीकी यूनियन इस कदम से नाराज हो गया है.

तो क्या है सोमालीलैंड का मामला?

दरअसल, सोमालिया का यह उत्तरी इलाका, जिसे सोमालीलैंड कहते हैं, ने 1991 में सोमालिया में शुरू हुए गृहयुद्ध के दौरान खुद को एक अलग और स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था. तब से, पिछले तीन दशकों से सोमालीलैंड ने अपनी सरकार, अपनी मुद्रा और अपने सुरक्षा बल बनाए हैं. वहां लोकतांत्रिक चुनाव भी होते हैं. हालाँकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे अभी तक किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है. इसके बावजूद, ताइवान, यूएई जैसे कुछ देशों के सोमालीलैंड के साथ अनौपचारिक संबंध हैं.

इजरायल ने क्यों उठाया यह कदम?

माना जा रहा है कि इजरायल ने यह कदम अपने रणनीतिक हितों को साधने के लिए उठाया है. इजरायल के पास अपने व्यापार और सैन्य उद्देश्यों के लिए होर्न ऑफ अफ्रीका (Horn of Africa) में पहुंच बनाने का अवसर है. इसके साथ ही, यह लाल सागर में इजरायल के समुद्री हितों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकता है. हो सकता है इजरायल मध्य पूर्व में बढ़ते चीन के प्रभाव का मुकाबला करने और अमेरिका के साथ मिलकर इस क्षेत्र में अपना असर बढ़ाना चाहता हो.

एक अमेरिकी थिंक-टैंक, अटलांटिक काउंसिल, ने सुझाव दिया है कि यह कदम इज़रायल को लाल सागर के महत्वपूर्ण जलमार्ग पर रणनीतिक लाभ दे सकता है और संभावित रूप से इस क्षेत्र में स्थिरता में योगदान कर सकता है. इस मान्यता के तुरंत बाद, इजरायली संसद 'केसेट' में सोमालीलैंड के साथ संबंधों पर चर्चा करने की योजना है.

अफ्रीकी यूनियन क्यों नाराज है?

अफ्रीकी यूनियन का सिद्धांत है कि अफ्रीकी महाद्वीप के देशों की मौजूदा सीमाओं का सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि नए संघर्षों को रोका जा सके. उनका डर है कि अगर सोमालीलैंड को मान्यता मिलती है, तो अफ्रीका के दूसरे हिस्सों में भी ऐसे ही अलगाववादी आंदोलनों को बढ़ावा मिल सकता है. यूनियन का मानना है कि सोमालीलैंड सोमालिया का ही एक अभिन्न अंग है और उसे एक अलग देश मानना अफ्रीका की एकता के सिद्धांतों के खिलाफ है.

अभी तक यह देखना बाकी है कि इजरायल के इस कदम का अफ्रीका और मध्य पूर्व की भू-राजनीति पर क्या असर होता है, लेकिन इतना तो तय है कि यह मुद्दा आगे और गर्माएगा.

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