Indo-US Relations : फिर से सत्ता में आए तो क्या भारत से बड़ा व्यापार समझौता करेंगे ट्रंप दिया संकेत
News India Live, Digital Desk: Indo-US Relations : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय बाजार और व्यापार संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण संकेत दिया है। हाल ही में उन्होंने यह कहकर कयासों को तेज कर दिया है कि अगर वह एक बार फिर राष्ट्रपति बनते हैं, तो अमेरिका जल्द ही भारत के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करेगा। उनका लक्ष्य है कि संयुक्त राज्य अमेरिका को विशाल भारतीय बाजार तक बेहतर पहुंच मिल सके।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने 'अमेरिका फर्स्ट' की अपनी नीति पर जोर देते हुए कई वैश्विक और क्षेत्रीय व्यापार समझौतों से अमेरिका को बाहर कर लिया था। उन्होंने भारत सहित कई देशों पर स्टील और एल्युमिनियम जैसे उत्पादों पर क्रमशः 25% और 10% के टैरिफ भी लगाए थे। इसके अतिरिक्त, जून 2019 में भारत को अमेरिकी जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेस (GSP) कार्यक्रम से भी बाहर कर दिया गया था, जिसने भारत से होने वाले अरबों डॉलर के निर्यात को प्रभावित किया था।
यह ताजा संकेत दर्शाता है कि अगर वे फिर से व्हाइट हाउस पहुंचते हैं, तो वे अपनी द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को प्राथमिकता देने की रणनीति पर टिके रहेंगे, जिसमें भारत जैसे बड़े और बढ़ते बाजार पर उनका विशेष ध्यान रहेगा। भारत अपनी बड़ी आबादी और बढ़ते मध्यम वर्ग के साथ अमेरिकी उत्पादों और सेवाओं के लिए एक आकर्षक अवसर प्रदान करता है।
हालांकि, उनके पिछले कार्यकाल में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि और भारतीय वाणिज्य मंत्री के बीच एक व्यापार समझौते पर कई बार बातचीत हुई थी, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अमेरिका ने विशेष रूप से अपने कृषि उत्पादों और अन्य वस्तुओं पर भारत द्वारा लगाए गए ऊंचे आयात शुल्कों को कम करने की मांग की थी। वहीं, भारत, GSP स्थिति की बहाली और भारतीय पेशेवरों के लिए वीज़ा संबंधी मुद्दों पर स्पष्टता चाहता था।
ट्रंप का 'अमेरिका फर्स्ट' का सिद्धांत संभवतः उन्हें अपने दूसरे कार्यकाल में भी व्यापारिक समझौतों में संरक्षणवादी नीतियों पर टिके रहने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे वे अमेरिकी उद्योगों और नौकरियों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे। भारत और अमेरिका के बीच एक संतुलित व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए विशाल आर्थिक अवसर पैदा कर सकता है, खासकर तब जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं पुनर्गठित हो रही हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि भविष्य में यह संभावित समझौता क्या रूप लेता है।
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