भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन: यात्रीगण ध्यान दें! देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलने को तैयार, ग्रीन रेल यात्रा में एक नया अध्याय

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भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन: भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है! देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन जींद-गोहाना-सोनीपत रूट पर चलने के लिए लगभग तैयार है। यह पायलट प्रोजेक्ट भारत में हरित परिवहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पर्यावरण के अनुकूल और शून्य कार्बन उत्सर्जन का वादा करता है।

हाइड्रोजन संयंत्र की तैयारियाँ

यह परियोजना एक हाइड्रोजन संयंत्र पर केंद्रित है, जिसका निर्माण कार्य लगभग पूरा होने वाला है। यह संयंत्र अगले 10-15 दिनों में पूरी तरह से चालू हो जाएगा। यह संयंत्र प्रतिदिन 430 किलोग्राम हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करेगा, जिसकी लागत 70 करोड़ रुपये है। वर्तमान में, संयंत्र में गैस उत्पादन शुरू हो गया है और परीक्षण चल रहा है।

हालाँकि, निरीक्षण के दौरान अग्निशमन प्रणाली में कुछ कमियाँ पाई गईं, जिन्हें अब ठीक किया जा रहा है। यह संयंत्र जींद स्थित ईंधन स्टेशन के लिए 3000 किलोग्राम हाइड्रोजन का भंडारण करेगा। स्टेशन में तेज़ ईंधन भरने के लिए दो डिस्पेंसर, एक कंप्रेसर और प्री-कूलर इंटीग्रेशन भी लगाया गया है।

ट्रेन की विशेषताएं

इस हाइड्रोजन ट्रेन को डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक को अपग्रेड करके तैयार किया गया है। 8 डिब्बों वाली यह ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित है, जो एक बार में 2638 यात्रियों को ले जा सकती है। ट्रेन की अधिकतम गति 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इस ट्रेन का इंजन धुएँ की बजाय पानी और भाप छोड़ेगा, जिससे प्रदूषण नहीं होगा।

यह ट्रेन पारंपरिक डीज़ल ट्रेनों का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है। हाइड्रोजन गैस को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करते हुए, यह ट्रेन शून्य कार्बन उत्सर्जन के साथ चलेगी। यह ट्रेन जींद-गोहाना-सोनीपत रेलमार्ग पर चलेगी, जिसकी लंबाई 89 किलोमीटर है।

पर्यावरण के अनुकूल भविष्य

यह परियोजना भारत में हरित परिवहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हाइड्रोजन ट्रेनों के उपयोग से रेलवे का कार्बन उत्सर्जन कम होगा और पर्यावरण संरक्षण में योगदान मिलेगा। यह ट्रेन न केवल तकनीकी दृष्टि से, बल्कि सतत विकास की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इस पायलट परियोजना की सफलता भारत में अन्य रेल मार्गों पर हाइड्रोजन ट्रेनों के उपयोग को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। भारतीय रेलवे का यह कदम देश को हरित परिवहन के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।

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