दुश्मन बने दोस्त? तालिबान का सबसे बड़ा नेता आ रहा है भारत, पाकिस्तान की उड़ी नींद

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कल तक जो एक-दूसरे के सबसे बड़े दुश्मन माने जाते थे, अब वो एक ही मेज पर बैठकर बात करने वाले हैं। जी हां, यह कोई फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की बदलती राजनीति की सबसे बड़ी और सबसे हैरान करने वाली हकीकत है।

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का विदेश मंत्री, आमिर खान मुत्तकी, जल्द ही भारत के दौरे पर आने वाला है। यह खबर इसलिए भी बड़ी है क्योंकि भारत हमेशा से तालिबान के सबसे मुखर विरोधियों में से एक रहा है।

यह कोई आम यात्रा नहीं है, UN से लेनी पड़ी खास इजाजत

यह कोई चोरी-छिपे होने वाली मुलाकात नहीं है। आमिर खान मुत्तकी उन तालिबानी नेताओं में से है जिस पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने प्रतिबंध लगा रखे हैं, जिसमें यात्रा पर रोक भी शामिल है। इसका मतलब है कि वह अपनी मर्जी से किसी देश की यात्रा नहीं कर सकता।

लेकिन, इस दौरे के लिए UNSC से खास तौर पर इजाजत ली गई है, जो यह दिखाता है कि यह एक बेहद गंभीर और महत्वपूर्ण राजनयिक बैठक होने वाली है।

क्यों लगी पाकिस्तान को ‘मिर्ची’?

और इस खबर के आते ही, सबसे ज्यादा बेचैनी और पेट में दर्द सरहद पार, यानी पाकिस्तान में महसूस किया जा रहा है।

  • क्यों? क्योंकि पाकिस्तान हमेशा से खुद को अफगानिस्तान का ‘ठेकेदार’ समझता आया है। वह चाहता था कि दुनिया, और खासकर भारत, अगर अफगानिस्तान से कोई भी बात करे, तो वो इस्लामाबाद से होकर ही करे।
  • अब क्या बदला? भारत का तालिबान के विदेश मंत्री को सीधे दिल्ली बुलाना, पाकिस्तान को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा कूटनीतिक झटका है।

साफ है, भारत ने अब यह संदेश दे दिया है कि अफगानिस्तान से जुड़े फैसले अब दिल्ली में होंगे, रावलपिंडी या इस्लामाबाद में नहीं। भारत अब अपनी सुरक्षा और क्षेत्रीय हितों के लिए किसी तीसरे देश पर निर्भर नहीं रहेगा।

बदल रही है भारत की विदेश नीति

यह दौरा भारत की विदेश नीति में एक बहुत बड़े बदलाव का संकेत है। भारत अब पुरानी विचारधारा को छोड़कर, प्रैक्टिकल और अपने हितों को साधने वाली कूटनीति की राह पर चल पड़ा है।

पूरी दुनिया की निगाहें इस मुलाकात पर टिकी हैं, क्योंकि यह बैठक न सिर्फ भारत और अफगानिस्तान, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के भविष्य की नई कहानी लिख सकती है।

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