Indian food Traditions : थाली में क्यों नहीं रखते 3 रोटी, जान लीजिए यह बड़ा राज़, वरना परिवार पर आ सकता है संकट
News India Live, Digital Desk: Indian food Traditions : भारत में खाना खाने और परोसने से जुड़ी कई परंपराएं हैं. इन सबमें एक बहुत ही आम बात है जो अक्सर आपने सुनी होगी - 'थाली में कभी 3 रोटी नहीं रखनी चाहिए'. दादी-नानी से लेकर आज तक कई लोग इस बात पर जोर देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों 3 रोटी परोसना अशुभ माना जाता है? क्या यह सिर्फ एक अंधविश्वास है या इसके पीछे कोई गहरी मान्यता है? आइए, जानते हैं क्या है इस अजीबोगरीब रिवाज़ का रहस्य, जिसे जानने के बाद शायद आप भी अपनी थाली में तीन रोटियां परोसना बंद कर दें!
क्या है 'थाली में 3 रोटी' न परोसने का रहस्य?
इस परंपरा के पीछे मुख्य रूप से धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं:
- मृतक के भोग से जुड़ा है संबंध:
हिंदू धर्म में, जब किसी व्यक्ति का निधन हो जाता है, तो उसके तेरहवीं या सोलहवीं के दौरान एक प्रथा है जिसे 'मृतक का भोग' कहा जाता है. इस भोग में आमतौर पर मृतक के लिए तीन रोटियां परोसी जाती हैं. इसी वजह से, जीवित व्यक्ति की थाली में 3 रोटियां परोसना अशुभ माना जाता है. लोग इसे मृत्यु के प्रतीक के रूप में देखते हैं, और ऐसा करने से परहेज करते हैं. - संख्या 'तीन' का नकारात्मक पहलू:
कुछ मान्यताओं के अनुसार, संख्या 'तीन' को शुभ नहीं माना जाता. बहुत से लोग शुभ कार्यों में तीन की संख्या से बचने की कोशिश करते हैं. इस वजह से भी इसे सीधे व्यक्ति की थाली से जोड़ना अशुभता की ओर इशारा करता है. - सात्विक और नियंत्रित भोजन:
एक मान्यता यह भी है कि तीन रोटियां अक्सर ज़रूरत से ज़्यादा मानी जाती हैं, खासकर जब कोई एक व्यक्ति खाता हो. भारतीय संस्कृति में भोजन को सात्विक और नियंत्रित रखने पर जोर दिया जाता है. कुछ लोग मानते हैं कि सामान्य व्यक्ति के लिए 2 रोटियां पर्याप्त होती हैं, और अगर भूख हो तो चौथी रोटी परोसनी चाहिए. 3 रोटी को ना तो 'पूरा' और ना ही 'कम' माना जाता है, इसलिए इसे बीच में छोड़ दिया जाता है.
तो फिर क्या परोसना चाहिए?
परंपराओं के अनुसार, जब आप खाना परोस रहे हों, तो 2 रोटी या 4 रोटी परोस सकते हैं. अगर आपको या सामने वाले को 3 रोटी की ज़रूरत है, तो चौथी रोटी की पेशकश की जा सकती है ताकि संख्या 4 हो जाए और यह अशुभ न रहे.
यह एक ऐसी परंपरा है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है. चाहे आप इसे अंधविश्वास मानें या सदियों पुरानी संस्कृति का हिस्सा, लेकिन यह भारतीय भोजन प्रथाओं का एक दिलचस्प पहलू ज़रूर है!
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