Indian culture : रावण दहन का महा रिकॉर्ड राजस्थान के कोटा ने किया कमाल, 233 फीट का पुतला जलाकर बना डाला नया वर्ल्ड रिकॉर्ड

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News India Live, Digital Desk: Indian culture : इस साल दशहरा (Dussehra) के मौके पर राजस्थान (Rajasthan) के कोटा (Kota) शहर ने एक ऐसा विश्व रिकॉर्ड (World Record) बना डाला है, जिसे देखकर आप भी कहेंगे – "वाह! क्या बात है!" यहाँ रावण के सबसे ऊँचे पुतले का दहन (Ravan Dahan) किया गया है, जिसने पुराने सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ दिया है। कोटा दशहरा मैदान (Kota Dussehra Maidan) में जलाया गया 233 फीट का यह विशालकाय पुतला सिर्फ़ अपनी ऊँचाई ही नहीं, बल्कि उस भव्यता के लिए भी याद रखा जाएगा जिसने सभी को चकित कर दिया।

दिल्ली का रिकॉर्ड टूटा, अब कोटा का नाम दर्ज!

यह गर्व की बात है कि कोटा ने रावण दहन के लिए अब तक दिल्ली (Delhi) में दर्ज रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है। 2024 में दिल्ली में रावण का 210 फुट ऊँचा पुतला दहन किया गया था, लेकिन कोटा के इस 233 फुट ऊँचे पुतले ने उसे बौना साबित कर दिया। यह सचमुच भारतीय उत्सवों और कारीगरी की एक अनूठी मिसाल है।

कौन थे इस रिकॉर्ड तोड़ पुतले के पीछे?

इस विशाल पुतले को बनाने का ज़िम्मा अंबाला (Ambala) के 58 वर्षीय कारीगर तेजेंद्र चौहान (Tejendra Chauhan) और उनकी 25 सदस्यों की टीम ने उठाया था। उन्होंने इस काम को पूरा करने के लिए चार महीने तक लगातार मेहनत की थी, जिसके बाद यह अविश्वसनीय रावण (Ravan) का पुतला तैयार हो पाया। उनकी कड़ी मेहनत और कला का ही परिणाम है कि आज कोटा का नाम दुनिया के पन्नों में दर्ज हो गया है।

** भव्य समारोह और रावण दहन का पल**

गुरुवार को कोटा के दशहरा मैदान में 132वें राष्ट्रीय दशहरा मेले (National Dussehra Fair) का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) ने मिलकर किया।इसके बाद, एक भव्य समारोह में रावण के इस विशालकाय पुतले के साथ-साथ, दोनों ओर 60 फुट ऊँचे कुंभकर्ण (Kumbhkaran) और मेघनाद (Meghnad) के पुतलों का भी दहन किया गया।

इन पुतलों को कोटा के पूर्व राजपरिवार (Former Royal Family) के मुखिया इज्यराज सिंह (Izzyaraj Singh) द्वारा छोड़े गए तीर से आग लगाई गई, जो भगवान लक्ष्मीनारायण (Lord Lakshminarayan) की शोभायात्रा (Procession) का नेतृत्व कर रहे थे।[1] मुख्यमंत्री शर्मा ने इस अवसर पर लोगों को विजयादशमी की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह अवसर 'अन्याय पर न्याय की जीत' को दर्शाता है, और कोटा दशहरा हमारी सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक मान्यताओं का संगम है।

यह पल लाखों लोगों के लिए एक अद्भुत और यादगार अनुभव था, जब अँधेरा होते ही पटाखों की गड़गड़ाहट और आग की लपटों के साथ अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक जलकर राख हो गया। यह सिर्फ़ एक पुतला दहन नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक क्षण था!

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