भारतीय बल्लेबाज उतने भी अच्छे नहीं हैं', कोलकाता में हार के बाद टीम इंडिया को दिखाया गया कड़वा सच
News India Live, Digital Desk: कोलकाता में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मिली करारी हार ने भारतीय क्रिकेट टीम के जख्मों पर नमक छिड़क दिया है। इस हार के बाद न केवल टीम इंडिया सीरीज में पिछड़ गई है, बल्कि नए कप्तान शुभमन गिल और उनकी बल्लेबाजी यूनिट को एक 'क्रूर सच्चाई' का सामना भी करना पड़ रहा है। पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों ने भारतीय बल्लेबाजों की तकनीक और क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, और यह मानने से इनकार कर दिया है कि यह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी लाइन-अप है।
'फ्लैट पिचों के शेर, मुश्किल पिचों पर ढेर'
एक पूर्व दिग्गज क्रिकेटर ने नाम न छापने की शर्त पर भारतीय बल्लेबाजी की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा, "सच तो यह है कि भारतीय बल्लेबाज उतने भी अच्छे नहीं हैं, जितना उन्हें माना जाता है। वे सपाट और बल्लेबाजी के लिए अनुकूल पिचों पर ढेर सारे रन बनाते हैं, लेकिन जैसे ही पिच में गेंदबाजों के लिए थोड़ी सी भी मदद होती है, चाहे वह तेज गेंदबाजी हो या स्पिन, हमारी पूरी बल्लेबाजी बिखर जाती है।"
यह आलोचना सीधे तौर पर भारतीय टीम की उस दुखती रग पर हाथ रखती है, जिसे अक्सर 'फ्लैट-ट्रैक बुली' (सपाट पिचों के शेर) कहा जाता है। कोलकाता की ईडन गार्डन्स की पिच पर, जहां दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजों को थोड़ी मदद मिली, वहां शुभमन गिल सहित भारत के बड़े-बड़े नाम भी संघर्ष करते नजर आए।
कप्तान गिल को मिली पहली बड़ी चेतावनी
कप्तान के तौर पर शुभमन गिल के लिए यह हार एक बड़ी चेतावनी है। उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वे आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगे, लेकिन वह खुद दोनों पारियों में असफल रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हार गिल और नए कोच गौतम गंभीर के लिए एक 'रियलिटी चेक' है। उन्हें यह समझना होगा कि सिर्फ घरेलू मैदान पर सपाट पिचें बनाकर मैच जीतना ही काफी नहीं है। असली परीक्षा तब होती है जब परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण होती हैं।
तकनीकी खामियां हुईं उजागर
इस हार ने भारतीय बल्लेबाजों की तकनीकी खामियों को भी उजागर कर दिया है। अच्छी गति और स्विंग के सामने भारतीय बल्लेबाजों का फुटवर्क और डिफेंस कमजोर नजर आया। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय बल्लेबाजों को अपनी तकनीक पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है, ताकि वे विदेशी दौरों और मुश्किल घरेलू पिचों पर भी रन बना सकें।
यह आलोचना भले ही कठोर लग रही हो, लेकिन यह भारतीय टीम के लिए एक आईने की तरह है। अब यह देखना होगा कि कप्तान शुभमन गिल और कोच गौतम गंभीर इस 'रियलिटी चेक' से कैसे निपटते हैं और टीम की बल्लेबाजी में सुधार लाने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
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