Indian Air Force : मेड इन इंडिया तेजस की रफ्तार धीमी क्यों? नई प्रोडक्शन लाइन के बाद भी डिलीवरी में हो रही देरी
News India Live, Digital Desk: Indian Air Force : भारत के स्वदेशी फाइटर जेट 'तेजस' को लेकर एक अच्छी खबर है तो एक चिंता की बात भी सामने आ रही है. अच्छी खबर यह है कि तेजस बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने नासिक में अपनी तीसरी प्रोडक्शन लाइन भी शुरू कर दी है, ताकि विमानों को और तेजी से बनाया जा सके. लेकिन चिंता की बात यह है कि इसके बावजूद भारतीय वायुसेना को इन लड़ाकू विमानों की डिलीवरी तय समय पर मिलने की उम्मीद कम ही है. आखिर जब विमान बनाने की रफ्तार बढ़ गई है, तो फिर असल मुश्किल कहां आ रही है?
प्रोडक्शन बढ़ा, पर असली पेंच इंजन में फंसा
HAL अब अपनी तीन प्रोडक्शन लाइनों पर हर साल कुल 24 तेजस विमान बना सकता है कंपनी का दावा है कि विमान का ढांचा तैयार है, बस कुछ जरूरी चीजें लगनी बाकी हैं. लेकिन सबसे बड़ी रुकावट विमान के इंजन को लेकर आ रही है. तेजस में अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) कंपनी का इंजन लगता है, लेकिन अमेरिका से इन इंजनों की सप्लाई बहुत धीमी गति से हो रही है
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिस रफ्तार से इंजन मिल रहे हैं, उसे देखते हुए 83 विमानों के ऑर्डर को पूरा करने के लिए जरूरी इंजन समय पर नहीं मिल पाएंगे. HAL ने बताया है कि विमान तैयार हैं, लेकिन इंजन की कमी की वजह से उन्हें वायुसेना को सौंपा नहीं जा सकता यह देरी ऐसे समय में हो रही है जब वायुसेना को अपने पुराने मिग-21 विमानों को हटाकर नए लड़ाकू विमानों की सख्त जरूरत है.
नई प्रोडक्शन लाइन से कितनी उम्मीद?
नासिक में शुरू हुई तीसरी प्रोडक्शन लाइन से एक उम्मीद तो जगी है कि विमानों के पुर्जे जोड़ने और उन्हें तैयार करने (असेंबली) का काम तेज हो जाएगा. इस नई लाइन से पहला विमान बनकर तैयार भी है. HAL का लक्ष्य है कि आने वाले समय में उत्पादन को और बढ़ाया जाए, लेकिन यह सब कुछ इंजनों की समय पर सप्लाई पर ही निर्भर करेगा.
फिलहाल, 83 विमानों के शुरुआती ऑर्डर की डिलीवरी, जो पहले 2028 तक पूरी होनी थी, अब 2029 तक खिसक सकती है. हालांकि, इस महीने होने वाले हथियारों के सफल परीक्षण के बाद, वायुसेना को अक्टूबर तक पहले दो तेजस मार्क-1A विमान मिलने की उम्मीद है.
आगे की राह
वायुसेना के लिए 83 विमानों के इस ऑर्डर के अलावा, 97 और तेजस विमान खरीदने की मंजूरी भी मिल चुकी है. ऐसे में HAL पर समय पर विमान तैयार करने का दबाव और भी बढ़ गया है. यह साफ है कि जब तक विदेशी इंजन पर निर्भरता बनी रहेगी, तब तक 'आत्मनिर्भर भारत' के इस गौरव की उड़ान में ऐसी रुकावटें आती रहेंगी. सरकार और HAL दोनों को मिलकर इस इंजन की समस्या का स्थायी समाधान खोजना होगा
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