India Trade Policy. ट्रंप का यू-टर्न, भारत पर 50% टैक्स लगाकर बोले- हमारे रिश्ते तो बहुत अच्छे हैं

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News India Live, Digital Desk: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बेबाक और अक्सर चौंकाने वाले अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं. एक बार फिर उन्होंने भारत को लेकर कुछ ऐसा ही कहा है, जिसने व्यापार और कूटनीति की दुनिया में हलचल मचा दी है. एक तरफ तो ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर 50% का भारी-भरकम टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने के अपने फैसले का मज़बूती से बचाव किया है, वहीं दूसरी तरफ वो यह भी कह रहे हैं कि "भारत के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं."

यह सुनने में थोड़ा अजीब ज़रूर लगता है, लेकिन यही ट्रंप का स्टाइल है. चलिए समझते हैं कि आखिर पूरा मामला है क्या.

ट्रंप की नाराज़गी की वजह क्या है?

डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार का रिश्ता दशकों से "एकतरफा" रहा है, जिसमें हमेशा भारत का ही फ़ायदा हुआ.उनका आरोप है कि भारत अमेरिकी सामानों पर दुनिया में सबसे ज़्यादा टैक्स लगाता है, जबकि अमेरिका ने "मूर्खतापूर्ण तरीके से" भारतीय सामानों के लिए अपने बाज़ार खुले रखे

अपनी बात को समझाने के लिए उन्होंने एक बार फिर अमेरिकी मोटरसाइकिल कंपनी हार्ले-डेविडसन का उदाहरण दिया उन्होंने कहा, "हार्ले-डेविडसन भारत में अपनी बाइक नहीं बेच पाती थी, क्योंकि वहां पर 200% का भारी-भरकम टैरिफ था. आखिर में कंपनी को भारत में ही एक प्लांट लगाना पड़ा ताकि उसे यह टैक्स न देना पड़े."[3][5] इसी एकतरफा व्यापार को बराबर करने के लिए ट्रंप अपने 50% टैरिफ के फैसले को ज़रूरी बता रहे हैं.

"दोस्ती अच्छी है, पर व्यापार एकतरफा था"

जब उनसे पूछा गया कि क्या वो भारत पर लगे टैरिफ हटाने पर विचार करेंगे, तो ट्रंप ने साफ़ कहा, “हम भारत के साथ बहुत अच्छी तरह से मिलते हैं, लेकिन कई सालों तक यह रिश्ता एकतरफा था.” उनके इस बयान का साफ़ मतलब है कि वह दोस्ती और व्यापार को अलग-अलग रखकर देख रहे हैं. उनका तर्क है कि उनके आने के बाद ही इस असंतुलन को ठीक करने की कोशिश शुरू हुई है.

ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अब भारत ने अपने टैरिफ को शून्य करने की पेशकश की है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अब "बहुत देर हो चुकी है.

यह पूरा घटनाक्रम भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में एक अजीब सी को दिखाता है, जहां दोस्ती की बातें भी हो रही हैं और व्यापारिक सख्ती भी दिखाई जा रही है. आने वाला समय ही बताएगा कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच व्यापार का यह ऊंट किस करवट बैठता है.

 

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