भारत-पाकिस्तान राजनयिक विवाद: अखबार सप्लाई बंद करने पर बढ़ा तनाव
क्या आप जानते हैं कि एक मामूली-सी चीज़—अखबार—भारत-पाकिस्तान संबंधों में इतनी बड़ी हलचल पैदा कर सकती है? ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों की सरकारें आलोचना और जवाबी कार्रवाई के दौर से गुजर रही हैं। अब, भारत ने पाकिस्तान उच्चायोग (दूतावास) में अखबारों की सप्लाई बंद कर दी है। यह कदम पाकिस्तान द्वारा दिल्ली में स्थित भारतीय उच्चायोग में अखबार सप्लाई बंद करने के बाद आया है। इस चाल ने राजनयिक दुश्मनी को और तेज़ कर दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर: विवाद की जड़
मई 2025 में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक सैन्य कार्रवाई की थी। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के उच्चायोग में अखबारों, गैस और पानी जैसी जरूरी सुविधाओं की सप्लाई रोक दी थी। यह सामान्य राजनयिक व्यवहार के खिलाफ माना गया, जिससे भारतीय कूटनीतिज्ञ असुविधा में आ गए।
भारत की जवाबी कार्रवाई
भारत ने भी इसी का जवाब दिया—दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में अखबारों की सप्लाई रोक दी गई। ये कदम दोनों देशों में कूटनीतिक तनाव और 'टीट-फॉर-टैट' रवैये को दर्शाते हैं।
विएना कन्वेंशन का उल्लंघन?
विएना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस (1961) के तहत मेज़बान देश को सुनिश्चित करना होता है कि विदेशी दूतावासों को सभी आवश्यक सुविधाएं दी जाएं और उनका सम्मान सुरक्षित रहे। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान द्वारा ऐसे कदम उठाना इस अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। भारत ने पाकिस्तान की गतिविधियों को “पूर्वनियोजित और नियम-विरुद्ध” बताया है.
दूतावास पर असर और भावनात्मक माहौल
इस तरह की छोटी दिखने वाली कार्रवाई राजनयिकों के जीवन को मुश्किल बना सकती है। दोनों तरफ के कर्मचारियों को जानकारी, समाचार और सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है, जिससे तनाव बढ़ता जा रहा है। भारत-पाकिस्तान के इतिहास में यह पहली बार नहीं हुआ—2019 पुलवामा हमले के बाद भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। वर्तमान हालात में, दोनों देश मोर्चे पर अफसरों को परेशान करने के छोटे-छोटे कदम उठा रहे हैं।
आगे क्या?
इस घटनाक्रम ने दिखा दिया है कि बड़े-बड़े फैसलों के साथ-साथ छोटी-छोटी कार्रवाई भी रिश्तों पर गहरा प्रभाव डालती है। राजनयिक नियमों की अनदेखी अंतरराष्ट्रीय मंच पर दोनों देशों की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।
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