India-Japan Relations : सिर्फ शहर नहीं, एक भरोसे की कहानी, भारत-जापान की दोस्ती ने कैसे रचा ये नया इतिहास
News India Live, Digital Desk: India-Japan Relations : कभी-कभी कुछ सपने इतने बड़े होते हैं कि उन्हें पूरा होने में सालों लग जाते हैं। ऐसी ही एक कहानी गुजरात की धरती पर लिखी जा रही है, जिसकी नींव आज से लगभग दो दशक पहले रखी गई थी। ये सपना था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उन्होंने एक ऐसा शहर बनाने की सोची, जो भारत को दुनिया के बड़े आर्थिक केंद्रों जैसे सिंगापुर और दुबई की कतार में खड़ा कर दे।
क्या था वो 2007 का सपना?
साल 2007 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात में एक इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (IFSC) बनाने का विजन रखा था। आसान भाषा में कहें तो एक ऐसा इलाका, जहाँ देश और दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ आकर आसानी से अपना कारोबार कर सकें, पैसे का लेन-देन कर सकें और जहाँ दुनिया की सबसे बेहतरीन सुविधाएँ मौजूद हों। इसी सोच से जन्म हुआ ‘गिफ्ट सिटी’ यानी ‘गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी’ का। इसका मकसद भारत के टैलेंट को देश में ही मौके देना और भारत को फाइनेंशियल सर्विसेज का एक बड़ा ग्लोबल हब बनाना था।
सपने को मिली जापान की दोस्ती की ताकत
किसी भी बड़े सपने को अकेले पूरा करना मुश्किल होता है। गुजरात के इस सपने को साकार करने के लिए जापान एक मजबूत साथी बनकर आगे आया है। भारत और जापान के बीच रिश्ता हमेशा से भरोसे का रहा है और गिफ्ट सिटी इस दोस्ती का एक बड़ा सबूत है।
जापान ने न सिर्फ यहाँ निवेश किया है, बल्कि उसकी कई बड़ी कंपनियाँ और बैंक अब गिफ्ट सिटी को अपना नया ठिकाना बना रहे हैं। जापान के सबसे बड़े बैंकों में से एक, एमयूएफजी बैंक (MUFG Bank) ने भी गिफ्ट सिटी में अपनी ब्रांच खोलकर काम शुरू कर दिया है। यह दिखाता है कि जापान को भारत की क्षमता और गिफ्ट सिटी के भविष्य पर कितना भरोसा है।
आज क्या है गिफ्ट सिटी की हकीकत?
गिफ्ट सिटी अब सिर्फ कागजों पर बना कोई प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि एक धड़कता हुआ शहर बन चुका है।
- यह भारत का पहला ऑपरेशनल स्मार्ट सिटी है, जहाँ सब कुछ टेक्नोलॉजी से चलता है।
- आज यहाँ 580 से ज्यादा कंपनियाँ काम कर रही हैं, जिनमें देश-विदेश के 25 बैंक और दर्जनों इंश्योरेंस व फिनटेक कंपनियाँ शामिल हैं।
- हजारों लोगों को यहाँ रोजगार मिला है और आने वाले समय में यह संख्या और भी बढ़ेगी।
- यहाँ कंपनियों को 10 साल तक कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता, जिससे वे अपना कारोबार आसानी से बढ़ा सकती हैं।
जो सपना 2007 में देखा गया था, वो आज गुजरात की जमीन पर सच हो रहा है। यह सिर्फ एक शहर की कहानी नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी सोच और दो देशों की मजबूत दोस्ती की मिसाल है, जो बता रही है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
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