भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर मंडराए संकट के बादल, टैरिफ विवाद के चलते अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरा स्थगित
भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित व्यापार सौदे (Trade Deal) को एक बड़ा झटका लगा है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाली यह महत्वपूर्ण डील फिलहाल खटाई में पड़ती दिख रही है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि टैरिफ यानी आयात शुल्कों को लेकर चल रहे गंभीर विवाद के कारण अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने अपना आगामी भारत दौरा स्थगित कर दिया है।
यह दौरा दोनों देशों के बीच चल रही व्यापारिक बाधाओं को दूर करने और एक सीमित ट्रेड पैकेज को अंतिम रूप देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था। इस दौरे के स्थगित होने से यह संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच कुछ प्रमुख मुद्दों पर असहमति काफी गहरी है, जिसे सुलझाए बिना बातचीत की गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकती।
आखिर क्यों लगी इस डील पर ब्रेक? (टैरिफ का पेंच)
इस पूरे गतिरोध के केंद्र में टैरिफ (Tariff) यानी आयात शुल्क का मुद्दा है। यह एक तरह का टैक्स होता है जो कोई देश दूसरे देश से आने वाले माल पर लगाता है।
- अमेरिका की आपत्ति: अमेरिका लंबे समय से भारत द्वारा कुछ अमेरिकी उत्पादों, विशेष रूप से मेडिकल उपकरण, कृषि उत्पाद (जैसे सेब, बादाम), और उच्च-तकनीकी वस्तुओं पर लगाए गए उच्च टैरिफ का विरोध करता रहा है। अमेरिका चाहता है कि भारत इन शुल्कों को कम करे ताकि अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजार में बराबरी का मौका मिल सके।
- भारत का जवाबी टैरिफ: वहीं, भारत ने भी अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर लगाए गए शुल्कों के जवाब में कई अमेरिकी वस्तुओं पर जवाबी टैरिफ (retaliatory tariffs) लगाए थे। भारत का तर्क है कि उसे भी अपने घरेलू उद्योगों और किसानों के हितों की रक्षा करने का पूरा अधिकार है।
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का यह दौरा इन्हीं जटिल मुद्दों पर आम सहमति बनाने और एक बीच का रास्ता निकालने के उद्देश्य से हो रहा था, लेकिन इसके स्थगित होने से साफ है कि दोनों पक्ष अभी अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं।
क्यों है यह ट्रेड डील दोनों देशों के लिए 'गेम-चेंजर'?
यह व्यापार सौदा सिर्फ कुछ सामानों पर टैक्स कम करने तक ही सीमित नहीं है, इसके रणनीतिक मायने बहुत गहरे हैं:
भारत के लिए फायदे:
- 'मेक इन इंडिया' को बूस्ट: इस डील से भारतीय उत्पादों को अमेरिका के विशाल बाजार तक आसान पहुंच मिलेगी, जिससे 'मेक इन इंडिया' अभियान को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।
- निवेश और रोजगार: अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में व्यापार करना आसान होगा, जिससे देश में विदेशी निवेश बढ़ेगा और लाखों नए रोजगार पैदा होंगे।
- चीन पर निर्भरता कम: दुनिया की बड़ी कंपनियां चीन के विकल्प के रूप में भारत को देख रही हैं। यह डील भारत को एक विश्वसनीय और स्थिर सप्लाई चेन हब के रूप में स्थापित करेगी।
अमेरिका के लिए फायदे:
- बड़ा बाजार: भारत 140 करोड़ से अधिक लोगों का एक विशाल और बढ़ता हुआ बाजार है। अमेरिकी कंपनियों को इस बाजार तक सीधी पहुंच मिलेगी।
- चीन का मुकाबला: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका को भारत जैसे एक मजबूत और लोकतांत्रिक व्यापारिक भागीदार की सख्त जरूरत है।
आगे क्या? क्या खत्म हो जाएगी उम्मीद?
हालांकि यह दौरा स्थगित होना एक नकारात्मक संकेत है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह बातचीत का अंत नहीं है। भारत और अमेरिका, दोनों के लिए यह व्यापार सौदा इतना महत्वपूर्ण है कि इसे पूरी तरह से रद्द करना किसी के भी हित में नहीं होगा।
यह स्थगन दोनों पक्षों पर बेहतर प्रस्तावों के साथ बातचीत की मेज पर वापस आने के लिए एक दबाव के रूप में भी देखा जा सकता है। अब गेंद दोनों देशों के राजनयिकों और व्यापार वार्ताकारों के पाले में है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वे कब और कैसे इस गतिरोध को तोड़कर एक ऐसे समझौते पर पहुंचते हैं जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद ('win-win situation') हो।
तब तक, दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्थाओं के बीच की यह महत्वपूर्ण ट्रेड डील अधर में लटकी रहेगी।
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