Increased demand for Indian medicines: भारत का फार्मास्युटिकल निर्यात 6 सालों में 92% बढ़ा

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News India Live, Digital Desk: Increased demand for Indian medicines:   भारत की 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने हाल ही में घोषणा की है कि पिछले छह वर्षों में देश का फार्मास्युटिकल निर्यात अभूतपूर्व रूप से 92% बढ़ा है। यह वृद्धि भारतीय दवा उद्योग की बढ़ती क्षमता, वैश्विक मांग को पूरा करने की उसकी क्षमता और गुणवत्तापूर्ण व किफायती दवाओं के उत्पादन में उसकी वैश्विक साख को दर्शाती है।

यह उपलब्धि सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल और दवा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर लगातार ध्यान केंद्रित करने का प्रत्यक्ष परिणाम है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने फार्मा उत्पादन में महत्वपूर्ण निवेश किया है, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया है, और अपनी विनिर्माण क्षमताओं का विस्तार किया है। यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत न केवल अपने घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करे, बल्कि दुनिया भर के देशों को भी दवाओं की आपूर्ति कर सके।

इस वृद्धि का श्रेय कई कारकों को दिया जा सकता है, जिनमें सरकार द्वारा अनुकूल नीतियां, कुशल कार्यबल की उपलब्धता, प्रतिस्पर्धी उत्पादन लागत और नियामक सुधार शामिल हैं। भारतीय फार्मा कंपनियाँ, जेनेरिक दवाओं की दुनिया की सबसे बड़ी उत्पादक होने के नाते, विशेष रूप से विकासशील देशों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। कोरोनोवायरस महामारी के दौरान, भारत ने दुनिया भर के कई देशों को टीके और आवश्यक दवाएं प्रदान करके अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया, जिससे इसकी 'विश्व की फार्मेसी' की प्रतिष्ठा और मजबूत हुई।

यह भारी निर्यात वृद्धि न केवल भारत के लिए आर्थिक लाभ ला रही है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही है, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा दे रही है और भारत को वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रही है। यह निरंतर वृद्धि भारत को अपने दीर्घकालिक लक्ष्य 'फार्मास्युटिकल हब' बनने की ओर ले जा रही है। भविष्य में भी, नवाचार, गुणवत्ता और वैश्विक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करके भारत अपने फार्मास्युटिकल निर्यात को और बढ़ाने की उम्मीद कर रहा है।

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