Income Tax Department: प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 पर खत्म हुई सारी अफवाहें दरों में नहीं होगा कोई बदलाव LTCG पर भी कोई टैक्स बढ़ोतरी नहीं
News India Live, Digital Desk: Income Tax Department: बीते दिनों से सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में प्रस्तावित 'आयकर विधेयक 2025' को लेकर फैल रही अफवाहों पर आखिरकार आयकर विभाग ने चुप्पी तोड़ी है. मंगलवार को विभाग ने एक आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि यह नया विधेयक केवल कानून की भाषा को सरल बनाने और पुराने या अनावश्यक प्रावधानों को हटाने के लिए लाया गया है, इसमें टैक्स दरों में किसी भी तरह के बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है. यह खबर उन लाखों टैक्सपेयर्स के लिए एक बड़ी राहत बनकर आई है, जो 'लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स LTCG' और इक्विटी निवेश पर टैक्स छूट खत्म होने जैसी अटकलों से चिंतित थे.
क्यों देनी पड़ी आयकर विभाग को सफाई? अफवाहों का बाजार गर्म था
दरअसल, पिछले कुछ समय से कई मीडिया प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया पर यह खबरें तेजी से फैल रही थीं कि 'नया आयकर विधेयक 2025' कुछ खास टैक्सपेयर्स कैटेगरी के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर टैक्स दरों को बदलने वाला है. कुछ रिपोर्ट्स तो यहाँ तक दावा कर रही थीं कि इक्विटी निवेश पर मौजूदा टैक्स छूट को खत्म किया जा सकता है, जिससे निवेशकों में भारी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी. इन अफवाहों को ख़त्म करने के लिए आयकर विभाग को हस्तक्षेप करना पड़ा.
विभाग का सीधा जवाब: 'टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं
आयकर विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर एक आधिकारिक पोस्ट में स्पष्टीकरण जारी किया. विभाग ने कहा, "विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ऐसी खबरें चल रही हैं कि नया आयकर विधेयक 2025 कुछ खास कैटेगरी के टैक्सपेयर्स के लिए LTCG पर टैक्स दरों में बदलाव का प्रस्ताव करता है. यह स्पष्ट किया जाता है कि आयकर विधेयक 2025 का लक्ष्य केवल भाषा को सरल बनाना और अनावश्यक/अप्रचलित प्रावधानों को हटाना है."
विभाग ने आगे जोड़ा, "यह टैक्स की किसी भी दर में बदलाव की मांग नहीं करता है. इस संबंध में किसी भी तरह की अस्पष्टता को विधेयक पारित करते समय उचित रूप से संबोधित किया जाएगा." इस बयान ने साफ़ कर दिया कि नए कानून का मुख्य ध्यान कानून को समझना आसान बनाना और मौजूदा प्रावधानों को सुव्यवस्थित करना है, बिना मौजूदा टैक्स ढांचे में कोई बदलाव किए.
सरलीकरण और आधुनिकीकरण पर जोर: क्यों आया यह विधेयक
यह विधेयक 'आयकर अधिनियम, 1961' का स्थान लेने वाला है, जिसका मुख्य लक्ष्य टैक्स कानूनों को सरल, अधिक आधुनिक और तकनीक-अनुकूल बनाना है. यह एक ऐतिहासिक कदम है क्योंकि यह पहली बार है जब भारत के आयकर कानून को पूरी तरह से फिर से लिखा गया है. इसका उद्देश्य जटिलताओं को कम करना और आम लोगों के लिए टैक्स सिस्टम को अधिक सुलभ बनाना है, ताकि पारदर्शिता बढ़ाई जा सके और अनुपालन को आसान बनाया जा सके. इस विधेयक को इसी साल फरवरी में बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद इसे लोकसभा की एक प्रवर समिति को भेजा गया, जिसने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
नतीजा: टैक्सपेयर्स के लिए राहत और स्पष्टता
आयकर विभाग की यह त्वरित और स्पष्टीकरण निश्चित रूप से टैक्सपेयर्स के बीच व्याप्त चिंताओं को दूर करेगा और उन्हें मौजूदा टैक्स व्यवस्था में किसी भी तरह के अप्रत्याशित बदलाव से मुक्ति दिलाएगा. यह सरकार की पारदर्शिता और प्रभावी संचार के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है. यह विधेयक देश के कर कानूनों को और अधिक मजबूत और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बिना करदाताओं पर कोई अतिरिक्त बोझ डाले।
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