अंतिम संस्कार में जाने की सोच रहे हैं? रुकिए पहले जान लें कि किन 4 लोगों का वहां जाना हो सकता है भारी

Post

News India Live, Digital Desk : हम सब जानते हैं कि मृत्यु जीवन का एक अटल सत्य है। जब हमारे किसी परिचित या रिश्तेदार की मृत्यु होती है, तो अंतिम विदाई देने (अंतिम संस्कार) के लिए जाना हमारा धर्म और कर्तव्य माना जाता है। लेकिन, क्या आपने कभी गौर किया है कि हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग अक्सर कुछ लोगों को श्मशान घाट (Cremation Ground) जाने या शव यात्रा में शामिल होने से सख्ती से मना करते हैं?

अक्सर हम इसे अंधविश्वास मानकर टाल देते हैं, लेकिन Hindu Beliefs और यहाँ तक कि मनोवैज्ञानिक (Psychological) तौर पर भी इसके पीछे बहुत ठोस कारण हैं। हमारे धर्मग्रंथों, जैसे कि गरुड़ पुराण में स्पष्ट बताया गया है कि कुछ विशेष परिस्थिति वाले लोगों को अंतिम संस्कार देखने से बचना चाहिए। आइए, सीधी और सरल भाषा में समझते हैं कि वे लोग कौन हैं और क्यों उन्हें वहां नहीं जाना चाहिए।

1. गर्भवती महिलाएं (Pregnant Women)

यह नियम सबसे सख्त माना जाता है। कहा जाता है कि श्मशान घाट का वातावरण बहुत ही भारी और नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) से भरा होता है। एक गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहा शिशु बहुत संवेदनशील होता है। जलती चिता का दृश्य, रोते-बिलखते लोग और हवा में घुला प्रदूषण माँ और बच्चे दोनों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है।

  • लॉजिक: माना जाता है कि इस दौरान हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाएं भावनात्मक रूप से नाजुक होती हैं, और गहरा सदमा बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है।

2. छोटे बच्चे (Small Children)

अक्सर कहा जाता है कि छोटे बच्चों का मन कोमल होता है। श्मशान घाट के दृश्य, जैसे कि आग की लपटें या किसी शरीर का जलना, उनके मन में हमेशा के लिए एक डर या Trauma पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, श्मशान जैसी जगहों पर कई तरह के बैक्टीरिया और इन्फेक्शन का खतरा होता है, और बच्चों की इम्यूनिटी (Immunity) बड़ों के मुकाबले कम होती है।

  • लॉजिक: बच्चे डर सकते हैं, उन्हें रात में बुरे सपने आ सकते हैं या वे बीमार पड़ सकते हैं। इसलिए उन्हें घर पर ही रखना बेहतर है।

3. नवविवाहित जोड़े (Newlywed Couples)

अगर किसी की अभी-अभी नई शादी हुई है, तो उन्हें भी अंतिम संस्कार में जाने से मना किया जाता है। हिंदू धर्म में विवाह को 'सृजन' या नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है, जबकि मृत्यु 'अंत' है। नवविवाहित जोड़ों के जीवन में यह खुशियों का समय होता है, और उन्हें मृत्यु के दुख और शोक के माहौल से दूर रहने की सलाह दी जाती है ताकि उनके नए जीवन पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।

4. कमजोर दिल या बीमार व्यक्ति

जिनका दिल कमजोर है या जो बहुत भावुक हैं, उन्हें भी चिता को जलते हुए या कपाल क्रिया (Kapal Kriya) जैसी रस्में नहीं देखनी चाहिए। यह दृश्य इतना कठोर होता है कि एक मजबूत इंसान भी सहम जाए। बीमार व्यक्ति को वहां के प्रदूषित वातावरण और संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए भी दूर रहने को कहा जाता है।

--Advertisement--