Honoring Glorious History:PM मोदी ने राजेंद्र चोल की स्मृति में विशेष सिक्का किया जारी

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Newsindia live,Digital Desk: Honoring Glorious History: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु में चोल वंश के महान सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की गौरवशाली विरासत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया। यह आयोजन चोल सहस्राब्दी समारोहों का हिस्सा है, जो भारत के समृद्ध इतिहास और समुद्री शक्ति के प्रतीक राजेंद्र चोल की अमूल्य देन का स्मरण कराता है।

आज देश ने चोल वंश के महान सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी स्मृति में एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया। यह कदम भारत के उस स्वर्णिम इतिहास और सांस्कृतिक समृद्धि का सम्मान है, जिसे राजेंद्र चोल जैसे शासकों ने अपने पराक्रम और दूरदर्शिता से सींचा था। चोल सहस्राब्दी समारोहों के बीच यह लोकार्पण न केवल एक ऐतिहासिक पल है, बल्कि नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों के गौरव से जोड़ने का एक प्रयास भी है।

राजेंद्र चोल I, भारत के इतिहास के उन चुनिंदा शासकों में से थे जिन्होंने अपनी विशाल नौसेना के दम पर न केवल अपनी भूमि की रक्षा की, बल्कि समुद्री सीमाओं के पार भी भारतीय संस्कृति और शक्ति का परचम लहराया। वे महान सम्राट राजाराज चोल प्रथम के पुत्र और उत्तराधिकारी थे। राजेंद्र चोल के शासनकाल में चोल साम्राज्य अपनी पराकाष्ठा पर पहुँचा। उन्होंने श्रीलंका और मालदीव जैसे पड़ोसी द्वीपों पर अधिकार करने के अलावा, सुमात्रा, मलेशिया और जावा (आधुनिक इंडोनेशिया) तक के क्षेत्रों में अपने अभियान चलाए, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय संस्कृति और व्यापार का विस्तार हुआ। उनके नाम 'गंगईकोंड चोल' (गंगा विजय करने वाला चोल) का खिताब इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने उत्तर भारत तक अपनी सेना भेजी थी।

राजेंद्र चोल ने कई उपाधियाँ धारण कीं जैसे 'गंगईकोंड चोल', 'मुडिकोंडा चोल', 'पंडित चोल' आदि, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा और विजय गाथाओं का वर्णन करती हैं। उन्होंने "गंगईकोंडा चोलपुरम" नामक अपनी नई राजधानी बसाई, जहाँ उन्होंने भगवान शिव को समर्पित एक भव्य बृहदीश्वर मंदिर का निर्माण भी करवाया। यह मंदिर चोल कला और स्थापत्य का अद्भुत नमूना है। उनकी सामुद्रिक शक्ति ऐसी थी कि उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया तक समुद्री व्यापार मार्गों पर अपना नियंत्रण स्थापित किया, जिससे भारत की आर्थिक और रणनीतिक स्थिति बेहद मजबूत हुई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्सर भारत के समृद्ध इतिहास, विशेष रूप से ऐसे गौरवशाली अध्यायों को रेखांकित किया है, जिन्हें अक्सर उपेक्षित छोड़ दिया गया। राजेंद्र चोल की स्मृति में सिक्का जारी करना इसी विजन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुनः प्रतिष्ठित करना और युवा पीढ़ी को अपने इतिहास के नायकों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करना है। यह कदम दिखाता है कि सरकार केवल वर्तमान और भविष्य पर ही नहीं, बल्कि उस समृद्ध अतीत पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है जिसने आधुनिक भारत की नींव रखी है।

यह स्मारक सिक्का केवल धातु का एक टुकड़ा नहीं, बल्कि एक महान सभ्यता, एक शक्तिशाली साम्राज्य और एक दूरदर्शी सम्राट की कहानी कहता है। यह भारत की उस समुद्री शक्ति और वैश्विक पहुंच का प्रतीक है जो आज से सदियों पहले मौजूद थी। यह आयोजन तमिलनाडु के समृद्ध इतिहास और उसकी सांस्कृतिक विरासत को देश के सामने लाने का भी एक माध्यम है, और पूरे देश को यह याद दिलाता है कि हमारा अतीत कितना वैभवशाली और प्रेरणादायक रहा है। यह सिक्का भावी पीढ़ियों के लिए राजेंद्र चोल I के अदम्य साहस, उनकी रणनीति और उनकी कला प्रेम का एक चिरस्थायी प्रतीक बना रहेगा।

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