"घर अब सुरक्षित नहीं"... UN की रिपोर्ट ने खोली दुनिया की कड़वी सच्चाई, हर 10 मिनट में एक महिला का कत्ल

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न्यूयॉर्क: क्या आप जानते हैं कि जिस घर को हम सबसे सुरक्षित पनाहगाह मानते हैं, वही घर दुनिया भर की हजारों महिलाओं और लड़कियों के लिए सबसे खतरनाक और जानलेवा जगह बना हुआ है?

यह कोई डरावनी कहानी नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की वो कड़वी सच्चाई है, जो किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार कर सकती है। UN की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में हर 10 मिनट में एक महिला या लड़की की हत्या उसके अपने ही पति, प्रेमी या परिवार के किसी सदस्य द्वारा कर दी जाती है।

आंकड़ों का आईना: एक दिन में 137 हत्याएं

यह रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल दुनियाभर में जानबूझकर 83,000 महिलाओं और लड़कियों की हत्या की गई। लेकिन जो बात सबसे ज्यादा दिल दहला देने वाली है, वो यह है:

  • इनमें से 60 प्रतिशत यानी 50,000 हत्याएं उनके अपनों ने ही कीं।
  • इसका मतलब है कि हर रोज औसतन 137 महिलाएं या लड़कियां अपनों के हाथों मारी जाती हैं।

इसकी तुलना अगर पुरुषों से करें तो तस्वीर बिल्कुल उल्टी नजर आती है। पिछले साल सिर्फ 11 प्रतिशत पुरुष हत्याएं ही उनके किसी करीबी या परिवार वाले ने की थीं।

अफ्रीका में सबसे बुरे हालात

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ इस क्रूर हिंसा का सामना दुनिया के हर कोने में करना पड़ रहा है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में हालात बदतर हैं:

  • अफ्रीका: यहां प्रति 1 लाख महिला आबादी पर 3 हत्याएं अपनों द्वारा की जाती हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
  • अमेरिका: 1.5
  • ओशिनिया: 1.4
  • एशिया: 0.7
  • यूरोप: 0.5

"ऑनलाइन हिंसा का खतरा भी कम नहीं"

UN ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि डिजिटल दुनिया में बढ़ती हिंसा अब सिर्फ 'ऑनलाइन' तक ही सीमित नहीं रही। संयुक्त राष्ट्र महिला नीति प्रभाग की निदेशक सारा हेंड्रिक्स ने कहा, "ऑनलाइन दी जाने वाली धमकियां और हिंसा अब 'ऑफलाइन' दुनिया में भी आ रही है और कई गंभीर मामलों में यह महिलाओं की हत्या का कारण बन रही है।"

यह रिपोर्ट एक कड़ा संदेश देती है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए सिर्फ कानून बनाना ही काफी नहीं है, बल्कि सामाजिक सोच और आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव की जरूरत है, ताकि महिलाओं के लिए घर एक सुरक्षित जगह बन सके, न कि कोई कब्रगाह।

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