राजस्थान की सियासत में गर्मी मंच आप चुनो, जगह हम आएंगे, कांग्रेस ने सीएम से माँगा कामों का हिसाब

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News India Live, Digital Desk : टीकाराम जूली ने सीधे तौर पर प्रदेश के मुखिया यानी मुख्यमंत्री को 'ओपन डिबेट' (Open Debate) की चुनौती दे दी है। उनका कहना है कि सरकार विज्ञापनों में चाहे जितने भी दावे कर ले, ज़मीन पर हकीकत कुछ और ही है।

"आ जाओ, जहां बुलाना है"
टीकाराम जूली का तेवर इस बार काफी आक्रामक है। उन्होंने सीएम को चैलेंज करते हुए कहा है कि अगर सरकार को लगता है कि उसने वाकई जनता के लिए काम किया है, तो डरने की क्या बात है?
उन्होंने साफ लफ़्ज़ों में कहा, "आप जगह तय कीजिये, समय तय कीजिये और मंच भी अपना ही रख लीजिये। मैं आने को तैयार हूँ। आइए जनता के सामने बैठकर बात करते हैं कि आपने क्या वादे किए थे और कितने पूरे हुए।"

गुस्सा किस बात का है?
दरअसल, कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा बीजेपी सरकार सिर्फ़ पुरानी योजनाओं के नाम बदल रही है या फीते काट रही है। जूली ने कहा कि चाहे बिजली का मुद्दा हो, पानी का या रोजगार का—जनता त्रस्त है और सीएम साहब 'सब चंगा है' का राग अलाप रहे हैं।

यह चुनौती इसलिए भी बड़ी मानी जा रही है क्योंकि टीकाराम जूली यह जताना चाहते हैं कि विपक्ष (कांग्रेस) के पास तर्कों की कमी नहीं है, जबकि सरकार सवालों से भाग रही है।

क्या डिबेट होगी?
राजनीति में ऐसी 'खुली चुनौतियां' (Open Challenges) अक्सर दी जाती हैं, लेकिन बहुत कम ऐसा होता है जब कोई सीएम विपक्ष के नेता के साथ सार्वजनिक मंच पर बहस करे। इसे आप एक तरह का 'माइंड गेम' भी कह सकते हैं। जूली जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि "देखिये, हमने तो बुलाया था, मगर वो आए नहीं, इसका मतलब दाल में कुछ काला है।"

अब देखना दिलचस्प होगा कि सीएम या बीजेपी की तरफ से इस चैलेंज का क्या जवाब आता है। क्या वे इसे नज़रअंदाज़ करेंगे या पलटवार करेंगे?

फिलहाल, राजस्थान के सियासी गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि "दम है तो बहस करो!"

आपकी क्या राय है? क्या नेताओं के बीच अमेरिका की तरह ऐसी लाइव डिबेट होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके?

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