हजारीबाग वन भूमि घोटाला , ACB के रडार पर आए BJP विधायक प्रदीप प्रसाद, जांच शुरू
News India Live, Digital Desk : झारखंड के सबसे चर्चित और बड़े घोटालों में से एक, हजारीबाग वन भूमि घोटाले (Hazaribagh Forest Land Scam) में अब एक और बड़ा नाम जुड़ गया है, जिससे राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है. इस बार जांच की आंच हजारीबाग सदर से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक प्रदीप प्रसाद तक पहुंच गई है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने विधायक पर लगे आरोपों की प्रारंभिक जांच (Preliminary Enquiry - PE) शुरू कर दी है.
क्या है यह पूरा वन भूमि घोटाला?
यह मामला हजारीबाग के गोंदा इलाके में स्थित वन विभाग की करोड़ों रुपये की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़ा है. आरोप है कि भू-माफियाओं ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर वन विभाग की जमीन के फर्जी कागज़ात तैयार किए और फिर उसे कई प्रभावशाली लोगों को बेच दिया. यह एक ऐसा घोटाला है जिसमें नियम-कानूनों को ताक पर रखकर जंगल की जमीन को भी बेच डाला गया, जबकि वन भूमि की खरीद-बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
कैसे आया विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम?
एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) जब इस मामले की जांच कर रहा था, तो इसी दौरान बीजेपी विधायक प्रदीप प्रसाद का नाम सामने आया. जांच में यह बात उजागर हुई कि विधायक प्रदीप प्रसाद ने भी इसी विवादित वन भूमि का एक टुकड़ा ख़रीदा था. जैसे ही यह जानकारी सामने आई, ACB ने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए विधायक के खिलाफ भी जांच का दायरा बढ़ा दिया.
ACB ने शुरू की प्रारंभिक जांच (PE)
एसीबी ने इस मामले में विधायक प्रदीप प्रसाद के खिलाफ एक पीई (PE) दर्ज की है. यह किसी भी मामले में एफआईआर (FIR) दर्ज करने से पहले की प्रक्रिया होती है. इस जांच के दौरान एसीबी उन सभी तथ्यों और सबूतों को इकट्ठा करेगी, जिससे यह पता लगाया जा सके कि विधायक ने जो जमीन खरीदी, क्या उन्हें उसकी असलियत पता थी और इस पूरी प्रक्रिया में उनकी क्या भूमिका थी.
आगे क्या होगा?
प्रारंभिक जांच पूरी होने के बाद एसीबी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी. चूंकि मामला एक मौजूदा विधायक से जुड़ा है, इसलिए उन पर полноцен FIR दर्ज करने के लिए एसीबी को विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति लेनी होगी. अनुमति मिलने के बाद ही इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
इस मामले में सिर्फ विधायक ही नहीं, बल्कि कई सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और जमीन के दलाल भी एसीबी की जांच के घेरे में हैं. हजारीबाग का यह वन भूमि घोटाला यह दिखाता है कि कैसे राज्य में भू-माफिया, नेता और अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी संपत्तियों को लूटा जा रहा है.
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