H-1B वीजा पर अमेरिकी 'बम': क्या एक ही जिले ने हड़प लिए 2.2 लाख वीजा? भारतीय आईटी वालों के उड़े होश

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अमेरिका जाने का सपना देखने वाले भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए एक बहुत बड़ी और चौंकाने वाली खबर आई है। अमेरिका के एक जाने-माने अर्थशास्त्री (Economist) और पूर्व कांग्रेसमैन, डॉ. डेव ब्रैट ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने भारत से लेकर वाशिंगटन तक खलबली मचा दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि H-1B वीजा सिस्टम में 'बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी' (Fraud) चल रही है और इसका सीधा कनेक्शन भारत के एक विशेष "जिले" से है।

आइये जानते हैं, आखिर उन्होंने ऐसा क्या कह दिया कि अमेरिका में भारत की इमेज पर सवाल उठने लगे हैं।

क्या है 2.2 लाख वीजा का सच?

हाल ही में एक पॉडकास्ट (स्टीव बैनन का वॉर रूम) पर बात करते हुए डॉ. डेव ब्रैट ने एक आंकड़ा पेश किया जो वाकई सिर चकरा देने वाला है।

  • आरोप: उन्होंने कहा कि अमेरिका हर साल कुल मिलाकर 85,000 H-1B वीजा जारी करने की लिमिट (Cap) रखता है। लेकिन, भारत के सिर्फ एक "जिले" (वह चेन्नई कंसुलेट रीजन या मद्रास की बात कर रहे थे) से अकेले 2.2 लाख (2,20,000) वीजा जारी किए गए हैं।
  • तर्क: डॉ. ब्रैट का कहना है कि यह कैसे मुमकिन है कि एक पूरा देश (जैसे चीन) सिर्फ 12% वीजा ले पा रहा है, जबकि भारत के एक ही इलाके ने लिमिट से तीन गुना ज्यादा वीजा झटक लिए? उन्होंने इसे "इंडस्ट्रियल लेवल फ्रॉड" करार दिया है।

"परिवारों का हक मारा जा रहा है"

बात सिर्फ नंबर्स की नहीं है, डॉ. ब्रैट ने इसे अमेरिकी लोगों की भावनाओं से भी जोड़ दिया। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, "जब आप H-1B का नाम सुनें, तो अपने परिवार के बारे में सोचें। क्योंकि ये फ़र्ज़ी वीजा आपके बच्चों और आपके परिवार का भविष्य चुरा रहे हैं।"
उनका मानना है कि जो लोग इस तरह वीजा लेकर अमेरिका आ रहे हैं, वे असल में उतने स्किल्ड नहीं हैं जितना बताया जाता है, और वे अमेरिकियों की नौकरी खा रहे हैं।

हैदराबाद का 'अमीरपेट' फिर निशाने पर?

इस आग में घी डालने का काम किया है एक पूर्व अमेरिकी राजनयिक (Diplomat) महवश सिद्दीकी के दावों ने। डॉ. ब्रैट के सुर में सुर मिलाते हुए उन्होंने भी पुरानी यादें साझा कीं।

  • सिद्दीकी ने दावा किया कि जब वे चेन्नई में तैनात थीं, तो उन्होंने देखा कि 80-90% अर्ज़ियों में कुछ न कुछ गड़बड़ थी।
  • उन्होंने विशेष रूप से हैदराबाद के 'अमीरपेट' इलाके का ज़िक्र किया। उनका कहना था कि वहां ऐसी दुकानें हैं जो न सिर्फ नकली डिग्री और सर्टिफिकेट बांटती हैं, बल्कि वीज़ा इंटरव्यू पास करने की ट्रेनिंग भी देती हैं।

अब आगे क्या? खतरा बढ़ गया है

यह खबर ऐसे समय आई है जब अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की वापसी हो चुकी है और "अमेरिका फर्स्ट" का नारा फिर से बुलंद हो रहा है।

  • खबरें तो यहाँ तक हैं कि H-1B वीजा के नियमों को बहुत सख्त किया जा सकता है।
  • कंपनियों पर 1 लाख डॉलर (करीब 84 लाख रुपये) तक की भारी-भरकम फीस लगाने की चर्चा भी हो रही है ताकि वे विदेशी कर्मचारियों की जगह अमेरिकियों को नौकरी दें।

निष्कर्ष:
यह खबर उन लाखों मेहनती भारतीय छात्रों और प्रोफेशनल्स के लिए चिंता की बात है जो अपनी मेहनत के दम पर अमेरिका जाना चाहते हैं। कुछ लोगों की चालाकी की वजह से अब सबको शक की निगाह से देखा जा सकता है।

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