Gustaakh Ishq Review : जब नसीरुद्दीन शाह और विजय वर्मा एक फ्रेम में हों, तो संवाद नहीं, जादू होता है
News India Live, Digital Desk : आजकल बॉलीवुड में या तो मारधाड़ वाली फ़िल्में आ रही हैं या फिर बड़े-बड़े सेट्स वाली कहानियाँ। शोर-शराबे के बीच हम कहीं न कहीं वो 'सुकून' वाली फ़िल्में मिस कर रहे थे जो सीधे दिल में उतर जाती हैं। अगर आप भी मेरी तरह उसी ठहराव (Thehrav) की तलाश में थे, तो नसीरुद्दीन शाह, विजय वर्मा और फातिमा सना शेख की नई फिल्म 'गुस्ताख इश्क' (Gustaakh Ishq) आपके लिए ही बनी है।
कहानी नहीं, जज्बात हैं ये
सबसे पहले तो ये समझ लीजिये कि यह फिल्म आपको किसी फ़ास्ट ट्रैक पर नहीं ले जाएगी। यह 'ओल्ड स्कूल रोमांस' (Old School Romance) को जिन्दा करती है। यह उन दिनों की याद दिलाती है जब प्यार 'स्वाइप' करने से नहीं, बल्कि आँखों के इशारों और इंतज़ार से होता था। फिल्म की कहानी में प्यार के अलग-अलग रंग और पड़ाव हैं, जिन्हें बड़ी खूबसूरती से पिरोया गया है।
एक्टिंग का तो जवाब नहीं!
जब कास्ट में नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) जैसा दिग्गज नाम हो, तो एक्टिंग पर शक करने की गुंजाइश ही नहीं बचती। उनकी आवाज और ठहराव फिल्म में एक वजन डालता है। वो जब स्क्रीन पर आते हैं, तो लगता है कि वो एक्टिंग नहीं कर रहे, बस जी रहे हैं।
लेकिन सबसे बड़ा सरप्राइज पैकेट हैं विजय वर्मा (Vijay Varma)। हमने उन्हें 'डार्लिंग्स' या 'दहाड़' में डरावने या नेगेटिव रोल्स में देखा है। यहाँ उन्हें एक रोमांटिक और संवेदनशील किरदार में देखना आँखों को बहुत सुकून देता है। फातिमा सना शेख के साथ उनकी केमिस्ट्री ऐसी है, जो जबरदस्ती थोपी हुई नहीं लगती, बल्कि बहुत नेचुरल (Sahaj) लगती है। फातिमा ने भी अपने किरदार की मासूमियत और दर्द को बखूबी पकड़ा है।
देखें या न देखें?
देखिए, अगर आप 'पठान' या 'जवान' जैसा मसाला ढूंढ रहे हैं, तो शायद यह फिल्म आपको धीमी लगे। लेकिन अगर आपको साहित्य (Literature), शायरी और रूहानी मोहब्बत पसंद है, तो यह फिल्म आपके लिए किसी तोहफे से कम नहीं है।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक और संवाद (Dialogues) ऐसे हैं जो फिल्म खत्म होने के बाद भी आपके साथ रह जाते हैं। यह वो फिल्म है जिसे आप वीकेंड पर रजाई में बैठकर, गर्म कॉफी के साथ देखना पसंद करेंगे।
हमारा फैसला: यह फिल्म भागती-दौड़ती जिंदगी में 'सांस' लेने जैसा अनुभव है। इसे जरूर देखें, क्योंकि ऐसी साफ-सुथरी और दिल को छूने वाली कहानियां अब कम ही बनती हैं।
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