एक ही दिन काल भैरव और श्रीकृष्ण की कृपा पाने का महासंयोग! जानें पौष कालाष्टमी की सही तारीख और पूजा विधि

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हिन्दू धर्म में हर व्रत और त्योहार का अपना एक विशेष महत्व है, लेकिन जब एक ही दिन दो-दो शुभ तिथियां पड़ जाएं, तो उसका पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. ऐसा ही एक अद्भुत संयोग इस साल के अंत में बनने जा रहा है. पौष महीने की मासिक कालाष्टमी के दिन ही मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी.

यह खास दिन 11 दिसंबर 2025, गुरुवार को है. कालाष्टमी का व्रत भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, काल भैरव को समर्पित है, तो वहीं मासिक जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए उत्तम मानी जाती है. यह एक ऐसा दुर्लभ अवसर है जब भक्त एक ही व्रत और पूजन से काल भैरव और भगवान कृष्ण, दोनों का आशीर्वाद एक साथ पा सकते हैं.

कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का समय इस प्रकार है:

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 11 दिसंबर 2025, गुरुवार को दोपहर 01:57 बजे से.
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 12 दिसंबर 2025, शुक्रवार को दोपहर 02:56 बजे तक.

जरूरी बात: चूंकि काल भैरव की पूजा का विधान रात्रि या प्रदोष काल (शाम के समय) में होता है, इसलिए व्रत और पूजन 11 दिसंबर, गुरुवार को ही करना शास्त्र सम्मत और सबसे फलदायी है.

इस सरल विधि से करें पूजा (कालाष्टमी व्रत पूजा विधि)

  1. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें.
  2. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें.
  3. घर के पूजा स्थल या मंदिर को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें.
  4. एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान काल भैरव और भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
  5. सबसे पहले भगवान काल भैरव को सफेद चंदन का तिलक लगाएं और फूल, धूप, दीप से उनकी विधिवत पूजा करें.
  6. घी का दीपक जलाएं और काल भैरव के मंत्रों ("ॐ कालभैरवाय नमः") का जाप करें.
  7. पूजा के बाद मिठाई और फलों का भोग लगाएं.
  8. अंत में हाथ जोड़कर भगवान से अपनी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें.
  9. आरती करने के बाद पूरे दिन व्रत रखने का संकल्प लें.

क्यों है यह व्रत इतना महत्वपूर्ण? (धार्मिक महत्व)

माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ की गई पूजा से भगवान काल भैरव तुरंत प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से भक्त के जीवन से सभी तरह के डर, संकट, ऊपरी बाधाएं और नेगेटिव एनर्जी हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं। यह व्रत जीवन में आने वाली रुकावटों को दूर करता है और सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाता है। कहा जाता है कि जो कोई भी काल भैरव की पूजा करता है, उसे अपने दुश्मनों और विरोधियों पर जीत मिलती है और उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।

इस बार मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का संयोग होने से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।

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