Garuda Purana: संभल जाएं आपकी ये 5 आदतें पूर्वजों को कर रही हैं नाराज़, घर में लग सकता है भयंकर पितृ दोष
News India Live, Digital Desk : क्या आपने कभी महसूस किया है कि आप जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं, लेकिन बरकत नहीं हो रही? या घर में बेवजह की बीमारियां और कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही? कई बार हमें लगता है कि यह सिर्फ़ 'बरा वक्त' है, लेकिन धर्म शास्त्रों और ख़ासकर गरुड़ पुराण (Garuda Purana) की मानें, तो यह हमारे अपने कर्मों का फल या 'पितृ दोष' हो सकता है।
अक्सर हम पितृ दोष का नाम सुनते ही डर जाते हैं और महंगी पूजा के बारे में सोचने लगते हैं। लेकिन गरुड़ पुराण बहुत स्पष्ट शब्दों में कहता है कि पितृ दोष सिर्फ़ ग्रहों से नहीं, बल्कि हमारे रोज़मर्रा के व्यवहार और गलतियों से भी लगता है।
आइये, आज बहुत ही आसान भाषा में समझते हैं कि वो कौन सी गलतियां हैं जिनसे हमारे पूर्वज (Ancestors) दुखी होकर शाप देते हैं, और जिन्हे सुधारना हमारे ही हाथ में है।
1. जीवित माता-पिता और बुजुर्गों का अपमान
यह पितृ दोष का सबसे बड़ा कारण है। गरुड़ पुराण कहता है कि जो इंसान अपने जीवित माता-पिता को रोटी, कपड़ा और इज़्ज़त नहीं दे सकता, उसका श्राद्ध तर्पण पूर्वज स्वीकार नहीं करते। अगर घर के बुजुर्गों की आँखों में आंसू हैं, तो समझ लीजिये कि मरने के बाद पितरों की आत्मा आपको कभी माफ़ नहीं करेगी। उनकी सेवा ही सबसे बड़ा पितृ-पूजन है।
2. घर की महिलाओं का अनादर
जिस घर में पत्नी, बेटी या बहू के साथ मार-पीट होती है, उन्हें नीचा दिखाया जाता है या गालियां दी जाती हैं, वहां देवता तो क्या, पितर भी पानी पीने नहीं आते। पितृ दोष वहां सबसे पहले लगता है जहां घर की 'लक्ष्मी' रोती है। अगर आप पूर्वजों का आशीर्वाद चाहते हैं, तो घर की स्त्री का सम्मान करना शुरू कर दें।
3. अन्न और जल की बर्बादी
हम अक्सर थाली में खाना छोड़ देते हैं या पानी बर्बाद करते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, अन्न का हर दाना देवता तुल्य है। जो लोग खाने का अनादर करते हैं या अतिथियों को भूखा लौटा देते हैं, उनसे पितर बेहद नाराज़ होते हैं। यह आदत धीरे-धीरे घर को गरीबी की ओर धकेल देती है।
4. पीपल या बरगद के पेड़ को नुकसान पहुँचाना
शास्त्रों में पीपल को पितरों का निवास स्थान माना गया है। जो लोग बेवजह हरे-भरे पेड़ों को काटते हैं या उन्हें गंदा करते हैं, उन पर पितरों का कोप बरसता है। प्रकृति का अपमान करना सीधे तौर पर पितरों को दुख पहुँचाने जैसा है।
5. कुल देवता और परंपराओं को भूलना
आधुनिक बनने के चक्कर में अगर आप अपने कुल-देवता/कुल-देवी की पूजा और घर के पारंपरिक रस्म-रिवाज (जैसे पहली रोटी गाय को देना) छोड़ चुके हैं, तो यह पितृ दोष को निमंत्रण देना है। अपनी जड़ों को भूलने वालों को फलने-फूलने में बहुत दिक्कतें आती हैं।
--Advertisement--