यूपी में परिवहन का भविष्य: ग्रेटर नोएडा में जल्द दौड़ेंगी हाइड्रोजन बसें, जानें कैसे 'गंदे पानी' से चलेंगी गाड़ियाँ

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अक्सर हम पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और गाड़ियों से निकलते काले धुएं से परेशान रहते हैं। लेकिन ग्रेटर नोएडा और यमुना सिटी के लोगों के लिए एक राहत भरी खबर है। बहुत जल्द यहाँ की सड़कों पर आपको ऐसी बसें नजर आएंगी जो धुएं की जगह सिर्फ भाप (Water vapor) छोड़ेंगी। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं 'हाइड्रोजन बसों' की।

नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) और यमुना प्राधिकरण मिलकर एक शानदार प्रयोग करने जा रहे हैं। लद्दाख के बाद यह एनटीपीसी का दूसरा इतना बड़ा प्रोजेक्ट होगा, जहाँ सार्वजनिक परिवहन में हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाएगा।

1 किलो में 16 किलोमीटर का सफर: डीजल से कहीं बेहतर

इन बसों की सबसे बड़ी खासियत इनका माइलेज है। एक आम डीजल बस 1 लीटर तेल में मुश्किल से 4 से 5 किलोमीटर चलती है। वहीं, यह हाइड्रोजन बस 1 किलो हाइड्रोजन में करीब 16 किलोमीटर तक का सफर तय करेगी।
हालांकि, अभी 1 किलो हाइड्रोजन की कीमत करीब 1200 रुपये पड़ रही है, जो काफी महंगी है। लेकिन कंपनी का मकसद इस उत्पादन लागत को कम करना है। यह भविष्य की तकनीक है।

कैसे बनेगा ईंधन? तकनीक जानकर हैरान रह जाएंगे

शायद आपको यकीन न हो, लेकिन इन बसों को चलाने के लिए जो हाइड्रोजन गैस बनेगी, वो एसटीपी (STP) यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी से तैयार की जाएगी। एनटीपीसी ने दादरी में एक खास प्लांट लगाया है, जहाँ इस पानी से हाइड्रोजन बनाया जाएगा। यानी 'गंदे पानी' का इस्तेमाल कर 'साफ हवा' देने वाला ईंधन तैयार होगा।

क्या है पूरा प्लान?

  • कुल बसें: शुरुआत में यमुना सिटी और ग्रेटर नोएडा के बीच 6 एसी (AC) लग्जरी बसें चलाई जाएंगी।
  • सीटें: हर बस में 45 यात्रियों के बैठने की जगह होगी। इनमें से 4 बसें आ चुकी हैं और 2 जल्द ही आ जाएंगी।
  • रूट: ये बसें उस रूट पर चलेंगी जहाँ सवारियां ज्यादा होती हैं, जैसे नोएडा एयरपोर्ट से ग्रेटर नोएडा के बीच।
  • शुरुआत: यमुना प्राधिकरण के एसीईओ नागेंद्र प्रताप का कहना है कि अगले एक महीने के अंदर सारी कागजी कार्रवाई पूरी करके बसों का संचालन शुरू हो जाएगा।

प्राधिकरण की जेब पर कोई बोझ नहीं

मजे की बात यह है कि इस हाई-टेक प्रोजेक्ट के लिए यमुना प्राधिकरण को अपनी जेब से एक भी रुपया खर्च नहीं करना पड़ेगा। इसका पूरा खर्च एनटीपीसी और बस चलाने वाला ऑपरेटर उठाएगा। इसके लिए ऑपरेटर चुनने की प्रक्रिया (EOI) अगले 2-3 दिनों में शुरू हो रही है। ड्राइवर और कंडक्टर का इंतजाम भी वही करेंगे।

यह प्रोजेक्ट फिलहाल 3 साल के लिए ट्रायल पर रहेगा। अगर यह सफल रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब पूरे यूपी में प्रदूषण मुक्त बसों का जाल बिछ जाएगा।

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