पुतिन को मैक्रों का अंतिम अल्टीमेटम जेलेन्स्की के पहुंचने से पहले फ्रांस ने दे दी खुली चुनौती?
News India Live, Digital Desk : रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग (Russia-Ukraine War) को ढाई साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन यह आग ठंडी होने के बजाय और धधकती जा रही है। आए दिन नए मोड़ आ रहे हैं। इस बार माहौल को गरमाया है फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने।
दरअसल, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेन्स्की (Volodymyr Zelensky) फ्रांस के दौरे पर आने वाले हैं। लेकिन उनके प्लेन के लैंड होने से पहले ही मैक्रों ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को एक बहुत सख्त चेतावनी दे दी है।
इसे आप एक दोस्ताना सलाह कम और 'अल्टीमेटम' ज्यादा समझ सकते हैं।
मैक्रों ने आखिर कहा क्या?
मैक्रों ने इशारों-इशारों में साफ कर दिया है कि अगर रूस ने सीजफायर (Ceasefire) यानी युद्धविराम की तरफ कदम नहीं बढ़ाए, तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। उन्होंने दुनिया को यह संकेत दे दिया है कि फ्रांस और यूरोप अब 'देखने और इंतजार करने' (Wait and Watch) की मुद्रा में नहीं हैं।
उनका कहना है कि शांति तभी आएगी जब रूस हमले रोकेगा। जेलेन्स्की की यात्रा से ठीक पहले इस तरह का बयान देना बताता है कि फ्रांस अब यूक्रेन को और ज्यादा ताकतवर हथियारों और रणनीतिक मदद का भरोसा देने वाला है। मतलब साफ है अगर आप नहीं रुकोगे, तो हम भी पीछे नहीं हटने वाले।"
पुतिन के लिए क्या मायने हैं?
हम सब जानते हैं कि पुतिन किसी की धमकियों से डरने वालों में से नहीं हैं। रूस अपनी शर्तों पर ही युद्ध खत्म करना चाहता है। लेकिन, मैक्रों का यह तेवर बताता है कि पश्चिमी देश (West Countries) अब अपनी रणनीति बदल रहे हैं।
शायद फ्रांस यह कहना चाहता है कि अगर अब बात नहीं बनी, तो युद्ध का दायरा बढ़ सकता है, जो पूरी दुनिया के लिए खतरनाक होगा। यह एक तरह का 'प्रेशर गेम' है ताकि रूस को बातचीत की मेज पर लाया जा सके।
जेलेन्स्की की उम्मीदें
उधर, जेलेन्स्की इस उम्मीद में फ्रांस आ रहे हैं कि उन्हें नाटो और यूरोपीय देशों से और मजबूत समर्थन मिले। उनकी सेना अभी मुश्किल दौर से गुजर रही है और उन्हें हथियारों की सख्त जरूरत है। मैक्रों का यह बयान जेलेन्स्की के लिए एक 'मोरल बूस्टर' (हिम्मत बढ़ाने वाला) साबित हो सकता है।
आगे क्या?
दोस्तों, यह बयानों की जंग कब असल में शांति में बदलेगी, यह कोई नहीं जानता। लेकिन इतना तय है कि आने वाले कुछ दिन वैश्विक राजनीति के लिए बहुत अहम होने वाले हैं। अगर रूस ने इस चेतावनी को नजरअंदाज किया (जो कि वो अक्सर करता है), तो यूरोप में तनाव अपने चरम पर पहुंच सकता है।
क्या आपको लगता है कि मैक्रों की चेतावनी से पुतिन पर कोई असर पड़ेगा? या फिर ये जंग और लंबी खिंचेगी? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।
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