Fierce body fight in Chhattisgarh: कांकेर में कब्र खोदकर लाश बाहर निकाली, हजार से ज़्यादा भीड़ ने की चर्च में तोड़फोड़, अब हत्या का शक

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News India Live, Digital Desk: छत्तीसगढ़ इन दिनों धर्मांतरण और धार्मिक मुद्दों को लेकर ज़बरदस्त सुर्ख़ियों में है. जहाँ एक तरफ दुर्ग जिले में केरल की ननों की गिरफ्तारी का मामला (Durg Nuns Case) गरमाया हुआ है, वहीं दूसरी तरफ कांकेर (Kanker, Chhattisgarh) जिले से एक और बेहद तनावपूर्ण घटना सामने आई है. यहाँ ईसाई धर्म अपनाने वाले एक शख्स के शव (Body Burial Dispute) को दफनाने को लेकर दो समुदायों के बीच जमकर बवाल (Communal Tension) हुआ है. यह विवाद इतना बढ़ गया कि आक्रोशित भीड़ ने चर्चों (Church Vandalized) और ईसाई धर्मावलंबियों के घरों में तोड़फोड़ (Houses Vandalized) की. हालात इतने बेकाबू हो गए कि मामले को शांत कराने के लिए एसडीएम (SDM) और पुलिस (Police) को हस्तक्षेप करना पड़ा, और उनकी मौजूदगी में कब्र खोदकर लाश को बाहर निकालना (Body Exhumed) पड़ा. अब इस मामले में एक नया और सनसनीखेज मोड़ आ गया है - मृतक के भाई ने हत्या (Murder Suspicion) की आशंका जताई है, जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम (Post-Mortem) के लिए मरच्युरी में रखवाया गया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत की सही वजह सामने आ पाएगी.

क्या है कांकेर के नरहरपुर का पूरा मामला?
यह पूरा विवाद कांकेर जिले के नरहरपुर थाना क्षेत्र (Narharpur Police Station Area) के जामगाँव (Jamgaon Village) में हुआ है. जानकारी के अनुसार, मृतक सोमलाल राठौर (Somlal Rathore), जो मूल रूप से आदिवासी थे, उन्होंने तीन साल पहले ईसाई धर्म (Christian Convert) अपना लिया था.सोमलाल राठौर की तबियत खराब थी और 26 जुलाई को उनकी मृत्यु हो गई थी. निधन होने पर उनके बेटे और पत्नी ने रविवार को उनके शव को अस्पताल से गांव लाकर जामगाँव नाले के पास ईसाई धर्म के रीति-रिवाजों (Christian Rituals) के अनुसार दफना दिया.

ग्रामीणों का उग्र विरोध: "यहां नहीं दफना सकते!"
जब गांव वालों को शव दफनाए जाने की जानकारी हुई, तो लोग तेज़ गुस्सा दिखाते हुए दफन स्थल पर बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए और जमकर हंगामा (Mass Protest) किया. ग्रामीणों का मुख्य विरोध इस बात पर था कि गाँव में कोई कब्रिस्तान नहीं है और आदिवासी 'देव प्रथा' (Dev Pratha customs) का पालन करते हैं जिसमें अंतिम संस्कार गांव के बाहर श्मशान घाट पर होता है.  ग्रामीणों का कहना था कि किसी को कहीं भी दफनाया नहीं जा सकता, खासकर एक हिंदू/आदिवासी बहुल गाँव में ईसाई रीति से अंतिम संस्कार (Hindu Tribal Rites) स्वीकार्य नहीं है.  ग्रामीणों की मांग थी कि ईसाई धर्म मानने वाले व्यक्ति के शव को कब्रिस्तान (Cemetery) में ही दफनाया जाना चाहिए था.

जामगाँव की सरपंच भगवती उईके (Sarpanch Bhagwati Uike) ने कहा कि मौजूदा स्थिति बेहद तनावपूर्ण (Tense Situation) है और उन्होंने प्रशासन से समय रहते उचित निर्णय लेने की मांग की. गाँव में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात (Police Force Deployed) किया गया है. यह भी उल्लेखनीय है कि जामगाँव में पहले ईसाई समुदाय के लोग नहीं रहते थे, बल्कि ये आदिवासी समुदाय के लोग ही हैं जिन्होंने ईसाई धर्म अपनाया है.[1] बस्तर संभाग (Bastar Division) के कई जिलों में इससे पहले भी शव दफनाने को लेकर ऐसे विवाद सामने आ चुके हैं, जिससे धर्मांतरण का मुद्दा लगातार गरमा रहा है.[3]

हत्या का शक और कब्र से लाश बाहर निकाली गई!
रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार को हज़ारों की भीड़ (Thousands of People) ने चर्च पर हमला किया (Church Vandalism) और जमकर तोड़फोड़ की. इतना ही नहीं, ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर पहुंचे और ईसाई धर्म अपनाने वाले लोगों के घरों में भी तोड़फोड़ (House Vandalism) करने लगे. पुलिस ने समझाने की कोशिश की, लेकिन धीरे-धीरे ग्रामीणों का विरोध हिंसक हो गया. इसी बीच, मृतक के बड़े भाई भुवनेश्वलर राठौर ने सोमलाल राठौर की मौत में हत्या की आशंका जताई है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके भाई की मौत के बाद उन्हें सूचित किए बगैर गुपचुप तरीके से दफना दिया गया, जो संदेहास्पद (Suspicious Burial) है

उनकी शिकायत के बाद, पुलिस ने एसडीएम की मौजूदगी में (SDM Present) शव को कब्र से बाहर निकाला.[ अब शव को मर्च्युरी (Mortuary) में रखवाया गया है और इसका पोस्टमार्टम (Post-Mortem for Murder Inquiry) कराया जाएगा, जिसके बाद ही मौत की सही वजह और हत्या की आशंका की सच्चाई सामने आ पाएगी. कांकेर कलेक्टर नीलेश कुमार महादेव क्षीरसागर (Kanker Collector Nilesh Kumar Mahadev Kshirsagar) ने पुष्टि की है कि शव को कानूनी रूप से निकाला गया है और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. कांकेर के पुलिस अधीक्षक आई.के. एलसेला ने कहा है कि हत्या के आरोप और तोड़फोड़ दोनों मामलों की जांच की जा रही है. यह घटनाक्रम छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मुद्दे को लेकर बढ़ते सामाजिक तनाव को रेखांकित करता है.

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