कैंसर का डर अब होगा कम? 10 साल पहले ही बीमारी का पता लगा लेगा यह एक ब्लड टेस्ट!
सोचिए कैसा हो अगर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पता उसके लक्षण दिखने से सालों पहले चल जाए? जब वो शरीर में सिर्फ पनपना शुरू ही हुआ हो. सुनने में यह किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे सच कर दिखाने की तरफ एक बहुत बड़ा कदम उठाया है. एक नया ब्लड टेस्ट ईजाद किया गया है, जो कैंसर होने की आशंका को 10 साल पहले ही भांप सकता है.
जी हाँ, आपने बिलकुल सही पढ़ा. इस जादुई टेस्ट का नाम है "डीपसीक" (Deepseek).
आखिर क्या है ये डीपसीक ब्लड टेस्ट?
यह कोई आम खून की जांच नहीं है. यह एक बहुत ही एडवांस टेस्ट है जो हमारे खून में कैंसर पैदा करने वाले वायरस, जैसे HPV (Human Papillomavirus), के छोटे-छोटे निशानों को खोज निकालता है. कई तरह के कैंसर, खासकर गले, मुंह और गर्भाशय के कैंसर, इसी तरह के वायरस की वजह से होते हैं.
यह टेस्ट इन वायरस के DNA के उन टुकड़ों को पकड़ लेता है जो खून में तैर रहे होते हैं. ये निशान इतने बारीक होते हैं कि सामान्य जांच में पकड़ में नहीं आते, लेकिन ये इस बात का संकेत होते हैं कि शरीर में कहीं न कहीं कैंसर की शुरुआत हो चुकी है या होने वाली है.
यह काम कैसे करता है?
जब हमारे शरीर में कैंसर की कोशिकाएं बनती हैं, तो वे मरने पर अपने DNA के कुछ हिस्से खून में छोड़ देती हैं. अगर कैंसर किसी वायरस की वजह से हो रहा है, तो उस वायरस का DNA भी इन टुकड़ों में मौजूद होता है. 'डीपसीक' टेस्ट खून के सैंपल में इसी वायरल DNA को ढूंढता है.
हाल ही में चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने मिलकर हजारों लोगों पर इस टेस्ट को आजमाया. नतीजे चौंकाने वाले थे. इस टेस्ट ने कई ऐसे स्वस्थ लोगों में भी कैंसर के शुरुआती संकेत पकड़ लिए, जिन्हें सालों बाद जाकर असल में कैंसर हुआ. यानी, टेस्ट ने बीमारी होने से बहुत पहले ही उसकी भविष्यवाणी कर दी.
क्यों है यह एक बहुत बड़ी उम्मीद?
कैंसर के इलाज में सबसे बड़ी चुनौती होती है 'देरी से पता चलना'. जब तक मरीज में लक्षण दिखने शुरू होते हैं, तब तक बीमारी अक्सर शरीर में फैल चुकी होती है और इलाज मुश्किल हो जाता है.
लेकिन अगर 'डीपसीक' जैसा टेस्ट हमें 10 साल पहले ही चेतावनी दे दे, तो सोचिए क्या हो सकता है:
- इलाज आसान होगा: शुरुआती स्टेज में कैंसर को जड़ से खत्म करना बहुत आसान होता है.
- लाखों जानें बचेंगी: समय पर इलाज मिलने से जीवित बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.
- खतरनाक कीमोथेरेपी से बचाव: हो सकता है कि शुरुआती स्टेज में सिर्फ छोटी सी सर्जरी या हल्की दवाओं से ही काम चल जाए.
यह टेस्ट अभी शुरुआती दौर में है और आम लोगों तक पहुंचने में इसे कुछ साल लग सकते हैं. लेकिन यह मेडिकल साइंस की दुनिया में एक बहुत बड़ी क्रांति की आहट है. यह वो उम्मीद है जो शायद भविष्य में कैंसर को एक सामान्य बीमारी बना दे, जिसका इलाज बहुत आसानी से संभव हो.
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