Export Schemes : क्या बदल जाएगा निर्यात का नक्शा, भारत सरकार ला रही है 25,000 करोड़ की गेम-चेंजर योजना

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News India Live, Digital Desk: Export Schemes :  सोचने वाली बात यह है कि भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा दांव खेलने वाला है. जल्द ही ₹25,000 करोड़ की योजनाएँ शुरू की जाएंगी. यह पहल खास तौर पर उन छोटे और मध्यम निर्यातकों की मदद करने के लिए है जो श्रम-प्रधान उद्योगों जैसे कपड़ा, रत्न और आभूषण, और समुद्री उत्पादों में लगे हुए हैं. इस कदम का मकसद सिर्फ मौजूदा निर्यात को बढ़ाना नहीं है, बल्कि भारत के निर्यात क्षेत्र को ग्लोबल स्तर पर और भी मजबूत बनाना है, खासकर बदलती हुई वैश्विक व्यापार स्थितियों और अमेरिका जैसे देशों द्वारा लगाए गए टैरिफ के बाद.

यह प्रस्ताव वाणिज्य मंत्रालय ने तैयार किया है और इसे मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय की व्यय वित्त समिति (EFC) के पास भेजा गया है. वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसे केंद्रीय कैबिनेट की स्वीकृति के लिए पेश किया जाएगा और फिर इसे लागू किया जाएगा.इन योजनाओं को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुसार बनाया गया है, ताकि कोई अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक बाधा न आए

यह नई योजना, "एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन" के तहत अगले छह सालों (वित्त वर्ष 2025 से 2031) के लिए लाई जा रही है. इसका मुख्य ध्यान निर्यातकों को सस्ता व्यापार वित्त उपलब्ध कराने और उनके लिए नए बाजारों तक पहुंच को आसान बनाने पर रहेगा.इस पैकेज में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि यह भारत में सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करता है

इस मिशन में दो मुख्य उप-योजनाएं शामिल होंगी: "एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम" जिसके लिए ₹10,000 करोड़ से ज़्यादा का बजट होगा, और "एक्सपोर्ट दिशा स्कीम" जिसके लिए ₹14,500 करोड़ से ज़्यादा का बजट रखा गया है एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम' के तहत ब्याज सब्सिडी (लगभग ₹5,000 करोड़ से ज़्यादा), वैकल्पिक व्यापार वित्त साधनों को बढ़ावा देना, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नकदी प्रवाह की कमी को दूर करने के लिए विशेष वित्तीय सहायता शामिल होगी. वहीं, 'एक्सपोर्ट दिशा स्कीम' के तहत निर्यात गुणवत्ता मानकों के पालन के लिए समर्थन (लगभग ₹4,000 करोड़), विदेशी बाजारों के विकास पर खर्च (₹4,000 करोड़ से ज़्यादा), ब्रांडिंग, भंडारण, लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में भारतीय कंपनियों को जोड़ने के लिए क्षमता निर्माण पर जोर दिया जाएगा.

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, जुलाई और वित्त वर्ष 2026 में भारत का सेवाओं और वस्तुओं का निर्यात काफी बढ़ा है, जो वैश्विक निर्यात वृद्धि से कहीं अधिक हैयह कदम भारत की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिससे निर्यात के बाजारों और उत्पादों में विविधता लाई जा सके और कुछ गिने-चुने बाजारों पर निर्भरता कम हो यह योजनाएं भारतीय निर्यातकों को दुनिया भर में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में भी मदद करेंगी, क्योंकि ऊंची घरेलू ब्याज दरें उन्हें नुकसान पहुंचा रही हैं.

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