हर महिला ध्यान दे! गैस या थकान समझकर जिसे आप टाल रही हैं, वो हार्ट अटैक का इशारा हो सकता है
जब भी हम हार्ट अटैक (Heart Attack) के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में अक्सर एक ही सीन आता है - कोई इंसान ज़ोर से अपना सीना पकड़ता है और उसे तेज दर्द होता है। फिल्मों में हमें यही दिखाया गया है। लेकिन ये आधा सच है, खासकर जब बात महिलाओं की हो।
सच्चाई यह है कि महिलाओं में हार्ट अटैक अक्सर बहुत खामोशी से और ऐसे लक्षणों के साथ दस्तक देता है, जिन्हें हम आम तौर पर रोज़मर्रा की थकान, गैस या स्ट्रेस समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यही वजह है कि महिलाओं के मामले में समय पर इलाज मिलना मुश्किल हो जाता है।
वो लक्षण जिन्हें 'मामूली' समझने की गलती न करें
पुरुषों की तरह सीने में तेज़ दर्द होना महिलाओं में हार्ट अटैक का सबसे आम लक्षण नहीं है। इसके बजाय, आपको इन इशारों पर गौर करना चाहिए:
- अचानक और बहुत ज़्यादा थकान: यह सिर्फ काम के बाद वाली थकान नहीं है। यह ऐसी थकान है कि आप बिना कोई भारी काम किए भी पूरी तरह से निढाल महसूस करें, जैसे शरीर में बिल्कुल भी जान नहीं बची है।
- सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना: अगर थोड़ा सा चलने पर या बिना किसी वजह के आपकी सांस फूल रही है और आपको आराम करने पर भी राहत नहीं मिल रही है, तो यह एक गंभीर संकेत हो सकता है।
- पेट में बेचैनी और उल्टी जैसा लगना: कई महिलाएं हार्ट अटैक के दर्द को पेट के ऊपरी हिस्से में महसूस करती हैं। उन्हें यह गैस, एसिडिटी या बदहज़मी जैसा लग सकता है। इसके साथ जी मिचलाना भी एक आम लक्षण है।
- सिर्फ सीने में नहीं, कहीं और भी दर्द: यह दर्द सिर्फ सीने तक सीमित नहीं रहता। महिलाओं को अक्सर पीठ के ऊपरी हिस्से में, दोनों कंधों के बीच, गर्दन या जबड़े में एक अजीब सा खिंचाव या दर्द महसूस होता है।
- चक्कर आना और ठंडा पसीना: अचानक सिर घूमना, आँखों के आगे अँधेरा छाना और बिना किसी वजह के ठंडा पसीना आना भी खतरे की घंटी है।
कैसे करें अपने दिल की हिफाज़त?
दिल की बीमारी किसी एक दिन में नहीं होती, यह हमारी सालों की जीवनशैली का नतीजा होती है। लेकिन अच्छी बात यह है कि कुछ छोटी-छोटी आदतों को बदलकर हम एक बड़े खतरे को टाल सकते हैं:
- खाना-पीना सुधारें: बाहर का तला-भुना और पैकेट वाला खाना कम करें। अपनी डाइट में फल, सब्ज़ियाँ और सलाद शामिल करें।
- थोड़ा चलिए-फिरिए: रोज़ कम से कम 30 मिनट टहलने की आदत डालें। लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करें। एक्टिव रहना बहुत ज़रूरी है।
- टेंशन को कहें 'बाय-बाय': तनाव हर बीमारी की जड़ है। इसे मैनेज करने के लिए योग, ध्यान (Meditation) या अपना कोई पसंदीदा काम करें।
- रेगुलर चेकअप करवाएं: 35-40 की उम्र के बाद साल में एक बार अपना ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल ज़रूर चेक करवाएं।
याद रखिए, आपका शरीर आपको हर बड़ी समस्या से पहले छोटे-छोटे सिग्नल देता है। ज़रूरत है तो बस उन सिग्नल्स को सुनने और समझने की। अपने लिए वक़्त निकालिए, क्योंकि आपकी सेहत से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
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