Encounter in Bokaro: जोनल कमांडर नक्सर करमचंद यादव समर्पण की तैयारी में था हुआ ढेर

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News India Live, Digital Desk: Encounter in Bokaro: झारखंड के बोकारो जिले से नक्सल विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता मिली है, लेकिन इसके पीछे एक चौंकाने वाला पहलू भी सामने आया है। पुलिस मुठभेड़ में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के एक महत्वपूर्ण जोनल कमांडर करमचंद यादव उर्फ करमचंद किस्कू मारा गया। दिलचस्प बात यह है कि पुलिस के अनुसार, वह पिछले दो साल से समर्पण करने की प्रक्रिया में था और कई बार पुलिस के संपर्क में भी आया था।

यह मुठभेड़ गुरुवार सुबह लुगुपहाड़ पर उस वक्त हुई, जब पुलिस को करमचंद और उसके साथियों के सक्रिय होने की सूचना मिली। जैसे ही सुरक्षाबल मौके पर पहुंचे, नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में हुई मुठभेड़ में करमचंद यादव मारा गया। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया है, जिसमें एक एके-47 राइफल, एक एसएलआर राइफल, कारतूस और अन्य सामग्रियां शामिल हैं।

बोकारो एसपी चंदन झा ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इस पूरे अभियान की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि करमचंद यादव पुलिस की हिटलिस्ट में टॉप पर था और उस पर झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दर्जनों मामले दर्ज थे। उसके खिलाफ हत्या, लूट, अपहरण और रंगदारी जैसे गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड थे, जिसके चलते वह वर्षों से पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था। सरकार ने उस पर 10 लाख रुपये का इनाम भी घोषित कर रखा था।

हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण खुलासा यह है कि एसपी झा के अनुसार, करमचंद पिछले दो साल से प्रशासन के संपर्क में था और वह आत्मसमर्पण की प्रक्रिया पर बातचीत कर रहा था। उसकी एक महिला साथी नक्सली द्वारा समर्पण करने की पेशकश से इस बात को बल मिलता है। यह भी बताया गया कि करमचंद को जंगल से निकालने के लिए भी मदद की जा रही थी। ऐसे में उसकी मुठभेड़ में मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस का कहना है कि वे इस बात की भी जांच करेंगे कि आत्मसमर्पण की प्रक्रिया के दौरान वह हथियार लेकर जंगल में क्या कर रहा था। इस घटना से नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है।

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