Education News : JNU से पढ़ी हैं नेपाल की नई PM सुशीला कार्की, जानें पहली महिला चीफ जस्टिस से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर

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News India Live, Digital Desk: नेपाल इस वक्त पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. युवाओं के जबरदस्त आंदोलन के बाद वहां की सत्ता बदल गई है और देश की कमान एक ऐसी महिला के हाथ में आई है, जिनका राजनीतिक करियर से कोई लेना-देना नहीं रहा है. हम बात कर रहे हैं सुशीला कार्की की, जिन्होंने नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रच दिया है. भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी बेखौफ लड़ाई के लिए मशहूर सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) भी रह चुकी हैं.

आइए जानते हैं, कौन हैं सुशीला कार्की और कैसा रहा है उनका अब तक का सफर.

भारत से है गहरा नाता, JNU से की है पढ़ाई

सुशीला कार्की का जन्म नेपाल के बिराटनगर में एक किसान परिवार में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई भी वहीं से हुई. कानून और राजनीति में उनकी गहरी रुचि थी. उन्होंने अपनी बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA) की डिग्री भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से हासिल की. इसके बाद उन्होंने राजनीति विज्ञान में मास्टर्स करने के लिए दिल्ली का रुख किया और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में दाखिला लिया. JNU में बिताए समय ने उनके विचारों को और मजबूत बनाया. बाद में उन्होंने नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री (Bachelor of Law) भी हासिल की.

एक टीचर से चीफ जस्टिस और अब प्रधानमंत्री

अपने करियर की शुरुआत सुशीला कार्की ने एक टीचर के रूप में की थी, लेकिन कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू कर दी. वह जल्द ही अपनी ईमानदारी और तेज-तर्रार वकील की छवि के लिए जानी जाने लगीं. साल 2009 में उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. साल 2016 में वह ऐतिहासिक दिन आया जब उन्होंने नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली. अपने कार्यकाल में उन्होंने भ्रष्टाचार से जुड़े कई बड़े मामलों में ऐतिहासिक फैसले सुनाए और बड़े-बड़े नेताओं को भी नहीं बख्शा, जिसके चलते उन्हें महाभियोग का भी सामना करना पड़ा.

कैसे बनीं अंतरिम प्रधानमंत्री?

हाल ही में नेपाल में 'जेन Z' (युवा पीढ़ी) ने सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन छेड़ दिया. यह आंदोलन इतना बड़ा हो गया कि तत्कालीन सरकार को झुकना पड़ा. प्रदर्शन कर रहे युवाओं का देश की राजनीतिक व्यवस्था से भरोसा उठ चुका था और वे किसी साफ-सुथरी छवि के इंसान को सत्ता में देखना चाहते थे. ऐसे में सबकी नजर सुशीला कार्की पर जाकर टिकी, जिनकी ईमानदारी की मिसाल पूरा देश देता है. सभी पार्टियों की सहमति के बाद उन्हें देश का अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया, ताकि देश में शांति व्यवस्था बहाल हो सके और निष्पक्ष चुनाव कराए जा सकें.

सुशीला कार्की का जीवन यह दिखाता है कि अगर इरादे नेक और हौसले बुलंद हों, तो एक आम इंसान भी देश के सर्वोच्च पद तक पहुंच सकता है.

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