रॉबर्ट वाड्रा मुश्किल में, ईडी सूत्रों ने गुरुग्राम जमीन सौदे में 58 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का आरोप लगाया

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कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर गुड़गांव की जमीन के मामले में बड़ी कानूनी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सूत्रों का आरोप है कि वाड्रा ने इस विवादित जमीन सौदे से लगभग 58 करोड़ रुपए की अवैध कमाई की है। यह पैसा उन्होंने अपनी कंपनियों Sky Light Hospitality Pvt. Ltd. (SLHPL) और Blue Breeze Trading Pvt. Ltd. (BBTPL) के माध्यम से संचालित किया और इसे संपत्ति खरीदने व निजी विलासिता में खर्च किया।

मामले की जांच के दौरान अप्रैल 2025 में वाड्रा ने पूछताछ में सीधे जवाब देने से परहेज किया और जिम्मेदारी तीन मृत सहकारियों पर डाल दी, जिनके नाम HL पहवा, राजेश खुराना और महेश नगर हैं। हालांकि, उन्होंने इस बात का कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया।

यह घोटाला गुरुग्राम के शिकोपुर गांव की जमीन खरीद, बिक्री और लाइसेंसिंग में कथित अनियमितताओं के कारण शुरू हुआ था। सितंबर 2018 में हरियाणा पुलिस ने वाड्रा, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, DLF और Onkareshwar Properties Pvt. Ltd. पर धोखाधड़ी, साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।

जांच में सामने आया कि SLHPL ने 3.5 एकड़ जमीन को आधी कीमत यानी 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा था और भुगतान के लिए नकली चेक बनाया, जिससे 45 लाख रुपये की स्टांप ड्यूटी चुकाने से बचा जा सका। बाद में यह जमीन Onkareshwar Properties को दी गई ताकि तत्कालीन सीएम से कमर्शियल हाउसिंग का लाइसेंस मिल सके। फिर दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर इस जमीन को 58 करोड़ में DLF को बेच दिया गया।

लाइसेंसिंग प्रक्रिया में भी बड़ी अनियमितताएं मिलीं। आवेदन में 3.53 एकड़ जमीन बताई गई जबकि केवल 1.35 एकड़ ही कमर्शियल उपयोग के लिए योग्य थी। नियमों की अनदेखी कर सड़क का हिस्सा भी जोड़ दिया गया। जांच में पता चला कि वरिष्ठ अधिकारी राजनीतिक दबाव में प्रक्रिया तेज कर रहे थे, वहीं दस्तावेजों में पीछे की तारीख और नक्शों में फेरबदल किया गया।

इन 58 करोड़ रुपये में से 5 करोड़ BBTPL के और 53 करोड़ SLHPL के खाते में आए। यह रकम संपत्ति खरीदने, निवेश करने और कंपनी के कर्ज चुकाने में लगाई गई।

ED ने अब तक 43 अचल संपत्तियां जिसमें जमीन, फ्लैट, और व्यावसायिक इकाइयां शामिल हैं, जिनकी कीमत लगभग 38.69 करोड़ रुपये है, जब्त कर ली हैं। ये संपत्तियां बीकानेर, गुड़गांव, मोहाली, अहमदाबाद, नोएडा और फरीदाबाद में हैं। आरोप धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत हैं। यदि दोष सिद्ध हुआ तो वाड्रा को 3 से 7 साल तक की सजा और संपत्ति जब्ती का सामना करना पड़ सकता है।

अधिकारियों के मुताबिक, यह पूरा घोटाला 2006-2008 के बीच हुआ जब जमीन खरीदी गई और लाइसेंस के लिए गलत जानकारी दी गई। 2008-2012 के दौरान लाइसेंस जारी किया गया और नवीनीकरण हुआ, जबकि 2013 में ऑडिट रिपोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया में बड़ी अनियमितताओं का खुलासा किया था।

यह मामला राजनीतिक और आर्थिक भ्रष्टाचार की एक बड़ी कहानी है जो रॉबर्ट वाड्रा सहित कई बड़े नामों के खिलाफ जांच का विषय बना हुआ है।

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