धरती कांपी, लहरों का तांडव! रूस के तट पर 8.7 तीव्रता का महाभूकंप, सुनामी अलर्ट से हड़कंप, जापान-अलास्का पर खतरा
बुधवार, 30 जुलाई 2025 को प्रशांत महासागर में एक ऐसी भयावह घटना घटी जिसने पूरी दुनिया को दहला दिया। रूस के कामचटका प्रायद्वीप के तट पर सुबह 8:25 बजे (स्थानीय समयानुसार) एक शक्तिशाली 8.7 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके कारण सुनामी की भयावह लहरें उठीं। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र पेट्रोपाव्लोव्स्क-कामचत्स्की शहर से लगभग 125 किलोमीटर (80 मील) पूर्व-दक्षिण-पूर्व में, 19.3 किलोमीटर (12 मील) की उथली गहराई पर स्थित था। यह भूकंप इस क्षेत्र में दशकों में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था, जिसने आस-पास के तटीय इलाकों में व्यापक दहशत फैला दी।
सेवेरो-कुरिल्स्क पर सुनामी का कहर: वीडियो में दिखी विनाश की भयावहता
भूकंप के तुरंत बाद, प्रारंभिक सुनामी लहरें रूस के सेवेरो-कुरिल्स्क शहर से टकराईं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किए गए वीडियो फुटेज ने इस विनाश की भयावहता को दिखाया, जिसमें बढ़ती जल-स्तर के कारण इमारतों को बहते हुए देखा जा सकता था। कुछ तस्वीरों में लहरों के प्रभाव से प्रभावित क्षेत्रों के पहले और बाद के दृश्य थे, हालांकि इन छवियों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी थी, लेकिन स्थानीय समाचार रिपोर्टों ने बड़े पैमाने पर जल-भराव की पुष्टि की। रूस के आपातकालीन मंत्रालय ने बताया कि सेवेरो-कुरिल्स्क शहर के कुछ हिस्से सुनामी से जलमग्न हो गए थे, और आबादी को सुरक्षित ऊंचे इलाकों में पहुंचा दिया गया था।
NOW - Tsunami waves hit Russian coast along Severo-Kurilsk. pic.twitter.com/1cxuFHohVL
— Disclose.tv (@disclosetv) July 30, 2025
प्रशांत-व्यापी सुनामी अलर्ट: जापान, अमेरिका और इक्वाडोर पर खतरा
इस शक्तिशाली भूकंप के कारण, अमेरिकी राष्ट्रीय मौसम सेवा (NWS) सुनामी अलर्ट ने पूरे प्रशांत क्षेत्र में कई चेतावनी और घड़ियाँ (watches) जारी कीं। रूस के तटीय इलाकों और इक्वाडोर में 3 मीटर (लगभग 10 फीट) से अधिक ऊंची लहरों की आशंका के साथ सुनामी की चेतावनी जारी की गई थी। इसी तरह, अलास्का और हवाई के तटीय क्षेत्रों के लिए भी चेतावनियाँ जारी की गईं, और कैलिफोर्निया से लेकर ओरेगन और वाशिंगटन तक पूरे अमेरिकी पश्चिमी तट के लिए सुनामी वॉच (Tsunami Watch) पोस्ट किया गया।
जापान पर सुनामी का साया: 3 मीटर तक की लहरों की चेतावनी
जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी (JMA) ने जापान के प्रशांत तट पर सुनामी की चेतावनी जारी की, जिसमें आगाह किया गया कि लहरें लगभग आधे घंटे के भीतर उत्तरी जापानी समुद्र तटों से टकरा सकती हैं, जिनकी ऊंचाई 3 मीटर (लगभग 10 फीट) तक हो सकती है। एजेंसी ने निवासियों को चेतावनी समाप्त होने तक समुद्र से दूरी बनाए रखने का निर्देश दिया। जापान के लिए सुनामी एडवाइजरी (Tsunami Advisory) जारी की गई थी, जो सुनामी अलर्ट से एक निचले स्तर की चेतावनी है।
पेट्रोपाव्लोव्स्क-कामचत्स्की में अफरा-तफरी: दहशत और अव्यवस्था का मंजर
भूकंप के केंद्र के सबसे करीब स्थित पेट्रोपाव्लोव्स्क-कामचत्स्की शहर में बड़े पैमाने पर भगदड़ मच गई। लोग घबराकर अपने घरों से बाहर सड़कों पर दौड़ पड़े, कई तो नंगे पैर या बिना कोट के थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घरों के अलमारियां गिर गईं, शीशे टूट गए, गाड़ियां कांपने लगीं और बालकनियां हिल गईं। कामचटका क्षेत्र की राजधानी में बिजली कटौती और मोबाइल फोन सेवा में बाधाएं भी देखी गईं। सखालिन द्वीप पर क्षेत्रीय अधिकारियों ने भी बड़े पैमाने पर निकासी की प्रक्रिया को सत्यापित किया।
प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र की सख्त हिदायत: 'जान और माल की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई करें!'
प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र (Pacific Tsunami Warning Center) ने हवाई द्वीपों के सभी तटीय इलाकों में "खतरनाक सुनामी लहरों" की आशंका जताते हुए "जान और माल की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई" का आह्वान किया। हवाई में पहली लहरों के मंगलवार स्थानीय समयानुसार शाम 7 बजे (रूस में समय के अंतर को देखते हुए बुधवार की सुबह) पहुंचने की उम्मीद थी।
ज्वालामुखी और भूकंपीय गतिविधि का केंद्र: प्रशांत रिंग ऑफ फायर
यह क्षेत्र अपनी भारी ज्वालामुखी और भूकंपीय गतिविधि के लिए जाना जाता है, और यह प्रशांत रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) पर स्थित है। इस बेल्ट में टेक्टोनिक प्लेटों की निरंतर हलचल से ऐसे शक्तिशाली भूकंप आते रहते हैं। जुलाई के मध्य में, इसी क्षेत्र में पांच शक्तिशाली भूकंप आए थे, जिनमें सबसे मजबूत 7.4 तीव्रता का था। इतिहास गवाह है कि 4 नवंबर 1952 को कामचटका में आए 9.0 तीव्रता के एक विनाशकारी भूकंप ने 9.1 मीटर (30 फीट) ऊंची लहरें हवाई तक भेजी थीं, हालांकि उस समय कोई हताहत नहीं हुआ था।
यह घटना एक बार फिर इस क्षेत्र की भूगर्भीय अस्थिरता और प्रशांत महासागर में सुनामी के विनाशकारी प्रभाव की याद दिलाती है।
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