देवगुरु बृहस्पति करेंगे एक मई को वृषभ राशि में प्रवेश

जयपुर, 26 अप्रैल (हि.स.)। पंचांग के अनुसार देवगुरु बृहस्पति एक मई को मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। वृषभ राशि दैत्य गुरु शुक्र की राशि हैं। बृहस्पति देव प्रत्येक राशि में 13 महीने तक रहते हैं। अबकी बार 12 साल बाद शुक्र की राशि में आ रहे हैं।

आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा के अनुसार देवगुरु का यह गोचर सभी राशियों पर असर डालेगा। बृहस्पति के प्रभाव से शिक्षा प्रणाली में नवाचार देखने को मिल सकता हैं। बृहस्पति एक मई को दोपहर 2:29 बजे वृषभ में प्रवेश करेंगे। कुंडली में गुरु मजबूत रहने से जातक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती हैं। मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। इसके विपरीत गुरु कमजोर होने पर धन संबंधी परेशानी आती हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार वृषभ राशि में गोचर के बाद देवगुरु 9 अक्टूबर को वक्री हो जाएंगे। यानी तब वे टेढ़ी चाल से चलने लगेंगे, जो अगले साल 4 फरवरी को मार्गी होंगे। अगले साल 14 मई को बृहस्पति वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। जिनकी राशि में गुरु बलवान या शुभ स्थान पर है, उन्हें इस राशि परिवर्तन का फायदा मिलेगा। गुरु को विस्तार, प्रगति और ज्ञान का ग्रह माना गया हैं।

ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा कि बृहस्पति धनु व मीन राशि के अलावा पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं। इस परिवर्तन से सेहत संबंधी परेशानियां कम होंगी लंबे समय से प्रमोशन वालों को सुखद समाचार मिलेंगे। राजनीति से जुड़े कुछ लोगों को जनता का सहयोग मिल सकता है। सेहत संबंधी परेशानियां भी कम होगी। राजनीतिक उथल-पुथल एवं प्राकृतिक घटनाक्रमों की आशंका बढ़ेगी। शिक्षा में सुधार के योग बनेंगे। अचानक मौसम में बदलाव आएगा। जिन जातकों की कुंडली में गुरु कमजोर हैं वे आम के पेड़ के जड़ों पर जल चढ़ाए। केले के पेड़, विष्णु और गुरु की पूजा करें।