Designated Terrorist : एनआईए कोर्ट ने हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन को घोषित किया भगोड़ा अपराधी
News India Live, Digital Desk: Designated Terrorist : भारत को वांछित कुख्यात आतंकवादी और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का सर्वोच्च कमांडर सैयद सलाहुद्दीन उर्फ मोहम्मद यूसुफ शाह को एक बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की एक एनआईए (राष्ट्रीय जाँच एजेंसी) अदालत ने आतंकवाद वित्तपोषण Terror Funding से जुड़े एक मामले में उसे 'भगोड़ा अपराधी' Proclaimed Offender घोषित कर दिया है।
यह फैसला इस मामले में आगे की कानूनी कार्यवाही का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिसमें उसकी संपत्ति की कुर्की और भारत लाने के प्रयास भी शामिल हो सकते हैं। अदालत का यह आदेश एक ऐसे समय में आया है जब भारत पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकवाद के खिलाफ अपनी ज़ीरो-टॉलरेंस नीति पर सख्ती से कायम है।
विशेष न्यायाधीश ने सलाहुद्दीन को अदालत में पेश न होने और जानबूझकर सुनवाई से बचने के बाद भगोड़ा अपराधी घोषित करने का आदेश दिया। अदालत ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 82 (भगोड़ा अपराधी घोषित करना) के तहत जारी किए गए सम्मनों और नोटिसों की अवहेलना करने पर यह कठोर निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि कानून की निगाह में अब सलाहुद्दीन को एक ऐसा व्यक्ति माना जाएगा जो अपराध करने के बाद जानबूझकर कानूनी प्रक्रिया से बच रहा है।
जाँच एजेंसी एनआईए ने अपनी चार्जशीट में सैयद सलाहुद्दीन पर आरोप लगाया था कि वह सीमा पार से फंड इकट्ठा करता था और उसका इस्तेमाल भारत में, खासकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने और अलगाववादी कार्यों को बढ़ावा देने के लिए करता था। इन फंडों का इस्तेमाल कश्मीरी युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकी कृत्यों के लिए उकसाने में भी किया जाता था। इस मामले में, मोहम्मद शफी शाह, फ़िरोज़ अहमद भट्ट और मोहम्मद मसरोर भट्ट जैसे कुछ अन्य अभियुक्त भी शामिल थे, जिनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम UAPA की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपपत्र दाखिल किया गया है।
गौरतलब है कि सैयद सलाहुद्दीन को भारत पहले ही "नामित आतंकवादी" घोषित कर चुका है और उस पर भारत विरोधी गतिविधियों के लिए विभिन्न मामलों में आरोप लगे हैं। अमेरिका ने भी उसे वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया हुआ है। एनआईए कोर्ट का यह नवीनतम फैसला सलाहुद्दीन जैसे दुर्दांत आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने और उनके नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में भारत के प्रयासों को और मजबूती प्रदान करता है।
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