Dalit Politics : माफी, वापसी और अब 4 राज्यों की बड़ी जिम्मेदारी ,मायावती ने अपने इस पुराने सिपाही पर फिर क्यों जताया भरोसा?
News India Live, Digital Desk: राजनीति में कब कौन हाशिए से शिखर पर पहुंच जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. बहुजन समाज पार्टी (BSP) में इन दिनों कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. एक समय में पार्टी की प्रमुख मायावती की 'नाराजगी' झेल चुके और साइडलाइन कर दिए गए अशोक सिद्धार्थ का राजनीतिक वनवास अब खत्म हो गया है. उनकी न सिर्फ पार्टी में धमाकेदार वापसी हुई है, बल्कि मायावती ने उन पर भरोसा जताते हुए 4 बड़े राज्यों की कमान भी सौंप दी है.
कौन हैं अशोक सिद्धार्थ, जो फिर बने मायावती के खास?
डॉ. अशोक सिद्धार्थ एक समय में मायावती के सबसे भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते थे. कन्नौज के रहने वाले अशोक पेशे से डॉक्टर हैं और उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर BSP ज्वाइन की थी. मायावती ने उन पर खूब भरोसा दिखाया; उन्हें MLC बनाया, राज्यसभा भेजा और यहां तक कि आंध्र प्रदेश जैसे राज्य का प्रभारी भी बनाया. पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ रहा था.
फिर ऐसा क्या हुआ कि अर्श से फर्श पर आ गए?
कहा जाता है कि 2017 के आसपास कुछ गलतफहमियों और शिकायतों के चलते अशोक सिद्धार्थ, मायावती की 'गुड बुक्स' से बाहर हो गए. उनसे धीरे-धीरे सारी जिम्मेदारियां छीन ली गईं और वे पार्टी में लगभग हाशिए पर चले गए. उनका राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद पार्टी ने उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया. यह उनके राजनीतिक करियर का सबसे मुश्किल दौर था.
'गलतियों' के लिए मांगी माफी और फिर मिला इनाम
राजनीतिक वनवास झेल रहे अशोक सिद्धार्थ ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी 'गलतियों' के लिए पार्टी प्रमुख मायावती से माफी मांगी. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि पार्टी नेतृत्व को उनकी वफादारी पर फिर से यकीन हो जाए. उनकी इसी लगन और माफी को शायद मायावती ने स्वीकार कर लिया.
अब, BSP सुप्रीमो ने एक बार फिर उन पर अपना भरोसा जताया है. अशोक सिद्धार्थ को गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे चार महत्वपूर्ण राज्यों का कोऑर्डिनेटर बनाया गया है. यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि BSP इन राज्यों में अपने जनाधार को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है.
यह पूरा घटनाक्रम दिखाता है कि BSP में आज भी मायावती का फैसला ही अंतिम है. अशोक सिद्धार्थ की यह वापसी उन कई नेताओं के लिए एक सबक भी है जो पार्टी छोड़कर चले गए. इसने यह भी साबित कर दिया है कि अगर आप पार्टी के प्रति वफादार हैं, तो आज नहीं तो कल, आपको आपकी मेहनत और निष्ठा का फल जरूर मिलता है.
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