Curb on Arbitrary suspension: राजस्थान सरकार ने कर्मचारियों के निलंबन पर जारी किए कड़े नियम अब होगा निष्पक्ष एक्शन
News India Live, Digital Desk: Curb on Arbitrary suspension: राजस्थान सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के निलंबन और बहाली को लेकर एक महत्वपूर्ण और सख्त निर्देश जारी किया है, जिसका मकसद इस प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और मनमर्जी पर लगाम कसना है। अक्सर देखा गया है कि विभिन्न स्तरों पर कर्मचारियों को मनमाने तरीके से निलंबित कर दिया जाता है, जिसके बाद उन्हें महीनों तक बहाल नहीं किया जाता या बाद में न्यायालयों से उन्हें राहत मिल जाती है। ऐसे मामलों में सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ता है, क्योंकि उन्हें बिना काम के भी वेतन देना पड़ता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए कार्मिक विभाग ने निलंबन के स्पष्ट नियम तय कर दिए हैं।
अब से, किसी भी सरकारी कर्मचारी को केवल सक्षम प्राधिकारी (Competent Authority) ही निलंबित कर पाएगा, जो उसके अधिकार क्षेत्र में हो। सरकार ने ऐसे हालात स्पष्ट किए हैं जिनमें निलंबन उचित होगा। इनमें गंभीर कदाचार या नैतिक पतन (Moral Turpitude) से जुड़े मामले प्रमुख हैं। साथ ही, भ्रष्टाचार के सिद्ध मामलों, जैसे रिश्वत लेना या आय से अधिक संपत्ति का पता चलना, पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जब किसी अधिकारी पर कर्तव्य में घोर लापरवाही का आरोप हो और इससे बड़ा नुकसान हुआ हो, या यदि कोई अधिकारी अपने पद से लापता हो जाए या उसे किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया हो, ऐसे मामलों में भी निलंबन को जरूरी माना जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि किसी अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने या सार्वजनिक शांति भंग करने जैसे अनुशासनहीनता के गंभीर आरोप हैं, और शुरुआती जांच में उनकी पुष्टि होती है, तो भी निलंबन किया जा सकता है। खास बात यह भी है कि यदि कोई कर्मचारी पुलिस या न्यायिक हिरासत से 48 घंटे बाद रिहा होता है और उसे वापस बहाल करने का आदेश नहीं मिला है, तो भी उसका निलंबन बरकरार रह सकता है।
सरकार का यह निर्देश स्पष्ट करता है कि निलंबन को अब आसान 'सजा' के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बल्कि, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जब गंभीर आरोप हों और प्रशासनिक व्यवस्था व नैतिकता का मामला हो, तभी निलंबन किया जाए। इस पहल से प्रशासनिक दक्षता, सार्वजनिक जवाबदेही और कर्मचारी कल्याण के बीच एक संतुलन स्थापित करने की उम्मीद है, ताकि बिना वजह किसी भी कर्मचारी को प्रताड़ना न झेलनी पड़े और सरकारी धन का सदुपयोग हो सके। यह कदम राजस्थान में बेहतर सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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