मालेगांव विस्फोट मामले में अदालत का फैसला, साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपी बरी
मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने आज 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में अपना फैसला सुनाया। इस मामले में कुल सात आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे थे। अदालत ने इस मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इन आरोपियों में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल हैं।
मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए
ने कुल 7 लोगों को आरोपी बनाया था। इसके साथ ही भोपाल की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी बनाया गया था। इसके अलावा कर्नल प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिलकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी को आरोपी बनाया गया था। अदालत ने सबूतों के अभाव में इन सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपी बरी।
कोर्ट ने कहा कि मैं सभी आरोपियों को संदेह का लाभ दे रहा हूँ। इसके साथ ही एनआईए की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
प्रसाद पुरोहित के ट्रस्ट के बारे में कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि अभिनव भारत का नाम बार-बार आता है। प्रसाद पुरोहित ट्रस्टी थे। अजय राहिरकर कोषाध्यक्ष थे। दोनों के खातों में पैसों के लेन-देन के सबूत हैं, लेकिन इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में नहीं हुआ। पुरोहित ने इस पैसे का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में किया।
विशेषज्ञों द्वारा साक्ष्य एकत्र नहीं किए गए - निचली
अदालत ने कहा कि घटना के बाद विशेषज्ञों द्वारा साक्ष्य एकत्र नहीं किए गए। साक्ष्यों को दूषित किया गया है। घटना के बाद घटनास्थल पर दंगे जैसे हालात पैदा हो गए। स्थानीय लोगों ने पुलिस बल पर हमला किया। अदालत ने सेना अधिकारी कर्नल प्रसाद पुरोहित के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने से पहले ली गई मंजूरी पर सवाल उठाया है।
जज ने फैसले में क्या कहा?
- एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में बहुत अंतर है।
- अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि बम मोटरसाइकिल पर था।
- प्रसाद पुरोहित के खिलाफ इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने बम बनाया और सप्लाई किया। यह साबित नहीं हुआ है कि बम किसने रखा था।
- घटना के बाद विशेषज्ञों द्वारा साक्ष्य एकत्र नहीं किये गये।
- साक्ष्य दूषित हो गए हैं।
- घटना के बाद मौके पर दंगे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई और स्थानीय लोगों ने पुलिस बल पर हमला कर दिया।
- जांच एजेंसियां यह साबित करने में विफल रहीं कि बाइक नन की थी।
- जांच एजेंसियों का दावा है कि बाइक नन की है, लेकिन अभियोजन पक्ष बाइक का चेसिस नंबर ढूंढने में असफल रहा है।
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