CM Yogi's order : यूपी में छिपने की जगह नहीं बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की तलाश हुई तेज
News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर सीएम Yogi Adityanath का रुख कैसा रहता है, ये हम सब जानते हैं। अपराधी हो या अवैध घुसपैठिया, सरकार की नजर से कोई बच नहीं पाता। अब एक बार फिर यूपी में प्रशासन फुल 'Action Mode' में आ गया है।
ताज़ा खबर यह है कि मुख्यमंत्री ने पुलिस और प्रशासन को सख्त निर्देश दे दिए हैं कि पूरे राज्य में एक विशेष अभियान चलाया जाए। मकसद साफ़ है यूपी के शहरों में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी (Bangladeshis) और रोहिंग्या (Rohingyas) घुसपैठियों को ढूंढ निकालना।
आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर सरकार को ये कदम क्यों उठाना पड़ा और इसका आम जनता पर क्या असर होगा।
हर झुग्गी और बस्ती पर पुलिस की नज़र
अक्सर हम देखते हैं कि रेलवे स्टेशनों के पास, फ्लाईओवर्स के नीचे या शहरों के खाली कोनों में अवैध झुग्गियां (Illegal Settlements) बन जाती हैं। सीएम योगी को रिपोर्ट मिली है कि इनमें से कई जगहों पर वो लोग रह रहे हैं जो भारत के नागरिक नहीं हैं, बल्कि गैरकानूनी तरीके से सीमा पार करके आए हैं।
आदेश के मुताबिक, अब पुलिस घर-घर जाकर सर्वे करेगी। एक-एक व्यक्ति का डॉक्यूमेंट चेक किया जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं, पुलिस को यह भी पता लगाने को कहा गया है कि आखिर इन्हें पनाह कौन दे रहा है और फर्जी आईडी कार्ड (Fake ID) कहां से बन रहे हैं।
रिक्शा चलाने वाले से लेकर ठेका मजदूरों तक सबका होगा हिसाब
आपकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है।
- कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स: जो मजदूर ठेके पर काम कर रहे हैं, उनका वेरिफिकेशन अब अनिवार्य कर दिया गया है।
- रेहड़ी-पटरी वाले: सड़क किनारे दुकान लगाने वालों की पहचान जांची जाएगी।
- ड्राइवर्स: ऑटो और रिक्शा चालकों का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है।
इसका मतलब यह है कि अगर आप यूपी में रह रहे हैं, तो आपको अपने आसपास काम करने वाले लोगों की असलियत पता होनी चाहिए। कई बार अपराध होने के बाद पता चलता है कि अपराधी का तो कोई रिकॉर्ड ही नहीं था। सरकार इसी खामी को दूर करना चाहती है।
मकान मालिकों और ठेकेदारों के लिए भी चेतावनी
सीएम ने साफ़ कह दिया है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर किसी ठेकेदार (Contractor) ने बिना वेरिफिकेशन के मजदूरों को काम पर रखा, तो उसकी जिम्मेदारी तय होगी। वहीं, मकान मालिकों को भी सतर्क रहने की ज़रूरत है—किसी भी अनजान व्यक्ति को कमरा देने से पहले पुलिस वेरिफिकेशन जरूर कराएं।
यह अभियान लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद समेत उन तमाम जिलों में बहुत सख्ती से चलाया जा रहा है जहाँ बाहरी लोगों की आवाजाही ज्यादा है।
आम जनता के लिए क्यों ज़रूरी है ये कदम?
सच कहें तो, एक आम नागरिक के तौर पर यह हम सबके लिए राहत की बात है। अवैध घुसपैठ सिर्फ संसाधनों पर बोझ नहीं है, बल्कि सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है। जब पुलिस के पास हर किसी का रिकॉर्ड होगा, तो सड़कों पर महिलाएं और बुजुर्ग खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे।
तो भईया, यूपी में अब फर्जीवाड़ा नहीं चलेगा। अगर कागज पक्के नहीं हैं, तो बोरिया-बिस्तर बांधने का समय आ गया है! सीएम योगी के इस फैसले पर आपकी क्या राय है? क्या यह कदम पहले ही उठा लेना चाहिए था?
--Advertisement--