चीन की चाल हुई फेल, नेपाल के रास्ते भारत में घुसपैठ की कोशिश नाकाम, BIS के नए नियम ने खोली पोल
नई दिल्ली: 1 अगस्त से भारत ने अपनी आयात नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव लागू किया है, जो विशेष रूप से पड़ोसी देश नेपाल के माध्यम से भारतीय घरेलू बाजार में चीनी स्टील की 'बैकडोर एंट्री' को रोकने के लिए है। नई दिल्ली ने आयात नियमों को कड़ा कर दिया है, जिससे नेपाल के 'बर्तन' और 'बरतन' के रूप में भेस बदलकर आने वाले सस्ते चीनी-उत्पत्ति वाले कच्चे स्टील के प्रवाह पर प्रभावी रूप से रोक लग गई है।
BIS के नए नियम: रॉ मटेरियल से फिनिश गुड्स तक क्वालिटी की गारंटी
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा लागू किए गए इस नए नियम के अनुसार, भारत में प्रवेश करने वाले किसी भी स्टील उत्पाद पर गुणवत्ता प्रमाणन चिह्न (quality certification mark) का होना अनिवार्य है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह प्रमाणन अब न केवल अंतिम उत्पाद पर, बल्कि उसे बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल (raw material) पर भी लागू होता है।
इस बदलाव ने नेपाल में चीनी कच्चे स्टील के आयात, उसे रसोई के सामानों में परिवर्तित करने और फिर उन सामानों को भारत को निर्यात करने की लंबे समय से चली आ रही व्यापारिक प्रथा (trade practice) को पूरी तरह से पलट दिया है। भारत का यह कदम घरेलू निर्माताओं को संरक्षण देने और कम लागत वाले तथा निम्न-गुणवत्ता वाले चीनी उत्पादों की डंपिंग (dumping) को रोकने के लिए एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
नेपाल के निर्यातकों पर ग्रहण: कारोबार ठप्प, उत्पादन बंद!
भारतीय अधिकारियों के लिए यह कदम घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हो सकता है, लेकिन नेपाली निर्यातकों (Nepalese exporters) के लिए यह नियम बदलाव विनाशकारी साबित हुआ है। 'द काठमांडू पोस्ट' (The Kathmandu Post) के अनुसार, नेपाल के कई प्रमुख स्टील निर्माताओं, जिनमें भिस्टार ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड (Bhistar Global Private Limited) और पंचकन्या स्टील (Panchakanya Steel) शामिल हैं, ने भारत को निर्यात में भारी गिरावट की सूचना दी है।
पंचकन्या, जो स्टेनलेस स्टील टैंकों में विशेषज्ञता रखती है, को अपना उत्पादन पूरी तरह से रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पंचकन्या के देवेंद्र साहू (Devendra Sahu) ने कहा, "हम अभी भी नेपाल में अपने उत्पाद बना सकते हैं, लेकिन अब भारत जोर दे रहा है कि कच्चे माल भी भारत के भीतर से ही आने चाहिए। अब और आयातित स्टील की अनुमति नहीं है।"
भिस्टार ग्लोबल, जो पहले हर महीने 400 टन से अधिक स्टील किचनवेयर का भारत को निर्यात करती थी, अब केवल 20 से 30 टन उत्पादन कर रही है। कथित तौर पर, उनके गोदामों में लगभग 200 टन तैयार माल (finished goods) फंसे हुए हैं, जो बिक नहीं पा रहे हैं।
कंपनी के मुख्य लेखाकार अरविंद त्रिपाठी (Arbind Tripathi) ने कहा कि नेपाल के स्टील निर्यात में लगभग आभासी गतिरोध (virtual standstill) आ गया है। हम चीन से कच्चे माल पर निर्भर थे। अब, हम उसका बिल्कुल भी उपयोग नहीं कर सकते। हम उचित प्रमाणन प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन प्रक्रिया लंबी और अनिश्चित है।
सीमा शुल्क कार्यालय की पुष्टि: भारत के नए सॉफ्टवेयर ने रोकी गेटवे
नेपाल के भैरहवा सीमा शुल्क कार्यालय (Bhairahawa Customs Office) के प्रमुख राम प्रसाद रेग्मी (Ram Prasad Regmi) ने पुष्टि की है कि भारत को स्टील निर्यात पिछले दो महीनों से रुका हुआ है। उन्होंने बताया, "भारत ने हाल ही में आयातित वस्तुओं को ट्रैक करने के लिए एक नया सॉफ्टवेयर लागू किया है। नेपाल अभी तक सिस्टम में सूचीबद्ध नहीं है, और जब तक यह परिवर्तन नहीं होता, तब तक नेपाली व्यापारी बंद रहेंगे।" यह दर्शाता है कि भारत किस तरह से अपनी सीमाओं पर व्यापार को अधिक पारदर्शी और नियंत्रित बना रहा है।
रणनीतिक संकेत: डंपिंग ग्राउंड नहीं बनेगा भारतीय बाजार!
मानकों का यह कड़ा होना सिर्फ व्यापार के बारे में नहीं है; यह एक रणनीतिक संकेत (strategic signal) भी है। भारत स्पष्ट कर रहा है कि वह अपने बाजार का उपयोग चीनी वस्तुओं के लिए डंपिंग ग्राउंड (dumping ground) के रूप में नहीं करने देगा, भले ही नेपाल जैसे बिचौलियों (intermediaries) के माध्यम से हो। जहाँ नेपाली व्यवसाय मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, वहीं नई दिल्ली इसे अपने आर्थिक हितों (economic interests) की एक आवश्यक रक्षा के रूप में देख रही है।
चीन की नेपाल के माध्यम से भारतीय बाजार में चुपके से फिर से प्रवेश करने की कोशिश पकड़ी गई है और उसे बंद कर दिया गया है। भारत का संदेश स्पष्ट है: कोई शॉर्टकट नहीं, कोई बाईपास नहीं, और राष्ट्रीय निर्माण (national manufacturing) व उत्पाद मानकों (product standards) पर कोई समझौता नहीं। यह कदम भारतीय उद्योग को मजबूत करने और चीनी उत्पादकों द्वारा बाजार में अनुचित प्रतिस्पर्धा को रोकने की भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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