छत्तीसगढ़ का अजीब फरमान, चुनाव और जनगणना तो ठीक था, अब शिक्षकों के जिम्मे आया कुत्तों का सर्वे

Post

News India Live, Digital Desk: सरकारी स्कूलों के शिक्षकों (Teachers) की पीड़ा किसी से छिपी नहीं है। कभी उन्हें जनगणना (Census) के लिए घर-घर भेजा जाता है, कभी चुनाव ड्यूटी (Election Duty) में लगा दिया जाता है, और कभी रसोइए का हिसाब-किताब रखने को कहा जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ से जो ताजा खबर आई है, उसे सुनकर आपको समझ नहीं आएगा कि इस पर हंसा जाए या रोया जाए।

खबर यह है कि बच्चों का भविष्य सवांरने वाले 'मास्टर साहब' को अब सड़कों पर घूमते आवारा कुत्तों (Stray Dogs) की जानकारी जुटाने का काम सौंपा गया है। जी हाँ, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। यह अजीबोगरीब फरमान राज्य के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिले में सामने आया है।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, एमसीबी जिले में प्रशासन आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके हमलों से परेशान है। ऐसे में नगर निगम या नगर पालिका के पास जब स्टाफ कम पड़ा, तो उनकी नज़र हमेशा की तरह उस विभाग पर गई जो सबसे सॉफ्ट टारगेट माना जाता है— शिक्षा विभाग।
प्रशासन ने शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी कि वे अपने-अपने इलाके में सर्वे करें और बताएं कि कौन से कुत्ते पालतू हैं और कौन से आवारा। उन्हें कुत्तों की नसबंदी कार्यक्रम में भी सहयोग करने को कहा गया है।

शिक्षकों का फूटा गुस्सा: "हम पढ़ाएं या कुत्ते भगाएं?"
इस आदेश के आते ही शिक्षक संघ (Teachers Association) में भारी नाराजगी है। शिक्षकों का कहना है कि उनका काम कक्षा में चॉक और डस्टर उठाना है, न कि गलियों में कुत्तों के पीछे भागना। एक शिक्षक ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, "समाज हमें राष्ट्र निर्माता कहता है, लेकिन प्रशासन हमसे वो काम करवा रहा है जो एक डॉग कैचर (Dog Catcher) या निगमकर्मी का है। इससे हमारी गरिमा को ठेस पहुँचती है।"

बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर शिक्षक सर्वे रजिस्टर लेकर मुहल्लों में घूमेंगे, तो स्कूल में बच्चों को कौन पढ़ाएगा? सरकारी स्कूलों का रिजल्ट वैसे ही चुनौतियों से जूझ रहा है, ऐसे में गैर-शैक्षणिक कार्यों (Non-Academic Work) का बोझ शिक्षकों पर डालना शिक्षा के अधिकार का मज़ाक उड़ाने जैसा है।

सोशल मीडिया पर उड़ रहा मज़ाक
जैसे ही यह खबर वायरल हुई, लोगों ने सोशल मीडिया पर चुटकी लेना शुरू कर दिया। लोग पूछ रहे हैं कि क्या अब B.Ed या D.Ed की डिग्री में "डॉग काउंटिंग" का चैप्टर भी जोड़ दिया जाएगा?

हालांकि, विरोध के बाद हो सकता है कि प्रशासन अपने इस आदेश पर विचार करे, लेकिन यह घटना फिर से उस कड़वे सच को सामने लाती है कि हमारे सिस्टम में शिक्षकों का 'इस्तेमाल' हर काम के लिए किया जाता है, सिवाय पढ़ाने के।

यह वक्त है सोचने का कि अगर गुरुजी का ध्यान 'श्वान' (कुत्तों) पर होगा, तो 'ज्ञान' पर कब होगा?

--Advertisement--