Chhattisgarh Government Talks : नक्सलियों का सबसे बड़ा यू-टर्न ,क्या हैं हथियार डालने की पेशकश के पीछे की 3 बड़ी वजहें?
News India Live, Digital Desk: बस्तर के घने जंगलों से दशकों बाद एक ऐसी खबर सामने आई है, जो उम्मीद की एक नई किरण जगाती है। सालों से बंदूक और हिंसा का रास्ता अपनाने वाले माओवादियों ने अब बातचीत की इच्छा जताई है। उन्होंने सरकार को संदेश भेजा है कि वे हथियार डालकर शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। यह खबर छत्तीसगढ़ के उन इलाकों के लिए एक ताजी हवा के झोंके की तरह है, जहां के लोगों ने लंबे समय से केवल हिंसा का शोर ही सुना है।
क्या सच में बदलेगी बस्तर की तस्वीर?
यह सवाल हर किसी के मन में है। माओवादी संगठन की तरफ से कहा गया है कि वे मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं और जनता के मुद्दों के लिए अब आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे, न कि हिंसा का।उन्होंने सरकार से बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक महीने का समय और सीजफायर (युद्धविराम) की मांग की है, ताकि इस दौरान कोई हिंसक झड़प न हो।
यह कोई पहली बार नहीं है जब शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया गया हो। इससे पहले भी कई बार ऐसी कोशिशें हुई हैं, लेकिन वे किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकीं।सरकार का रुख हमेशा से साफ रहा है कि बातचीत का स्वागत है, लेकिन बिना किसी शर्त के।गृह मंत्री का भी कहना है कि जो कोई भी हथियार छोड़कर आएगा, उसका स्वागत किया जाएगा।
क्यों अहम है यह पेशकश?
हाल के कुछ समय में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ अपने अभियान काफी तेज कर दिए हैं। इन कार्रवाइयों में कई बड़े माओवादी नेताओं के मारे जाने की भी खबरें हैं, जिससे संगठन कमजोर हुआ है। माना जा रहा है कि लगातार हो रहे नुकसान और कमजोर पड़ती पकड़ की वजह से माओवादी अब बातचीत के लिए मजबूर हुए हैं।
हालांकि, अभी भी सरकार इस प्रस्ताव की सच्चाई की जांच कर रही है। लेकिन अगर यह पेशकश वाकई गंभीर है, तो यह छत्तीसगढ़ और पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।दशकों से चल रहा खून-खराबा खत्म हो सकता है और बस्तर के विकास को एक नई रफ्तार मिल सकती है। सबकी नजरें अब सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं कि वह इस पेशकश पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
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