Chhattisgarh Forest Department : छत्तीसगढ़ के जंगलों में लौटी रौनक, बाघों की आबादी दोगुनी होकर 35 हुई
News India Live, Digital Desk: Chhattisgarh Forest Department : छत्तीसगढ़ के जंगलों से एक शानदार और गर्व करने वाली खबर आई है। पिछले केवल तीन सालों में राज्य ने वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाई है। कभी बाघों की घटती संख्या को लेकर चिंतित रहने वाले छत्तीसगढ़ में अब इनकी आबादी दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने खुद इस बात की जानकारी दी कि साल 2022 में जहां केवल 17 बाघ थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 35 हो गई है।
यह खबर न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ी खुशखबरी है।
कैसे मिली यह कामयाबी?
बाघों की संख्या में यह शानदार बढ़ोतरी सरकार और वन विभाग के लगातार किए जा रहे प्रयासों का नतीजा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई राज्य वन्यजीव कल्याण बोर्ड की 15वीं बैठक में यह जानकारी साझा की गई। मुख्यमंत्री ने कहा, "वन्य प्राणियों का संरक्षण और संवर्धन हमारी सरकार की प्राथमिकता है। बाघों की संख्या में हुई यह वृद्धि इस बात का सबूत है कि हमारे प्रयास सही दिशा में हो रहे हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, राज्य के चार टाइगर रिजर्व- अचानकमार, उदंती-सीतानदी, गुरु घासीदास-तमोर पिंगला और इंद्रावती में बाघों के संरक्षण के लिए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं। सबसे ज्यादा बाघ अचानकमार टाइगर रिजर्व में पाए गए हैं।
अब आगे क्या है सरकार का प्लान?
बाघों की संख्या बढ़ाने में मिली इस सफलता से उत्साहित होकर सरकार अब दूसरे वन्यजीवों के संरक्षण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
- नए बाघों का आगमन: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने मध्य प्रदेश से कुछ बाघों को छत्तीसगढ़ के उदंती-सीतानदी और गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की मंजूरी दे दी है। यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी।
- वन भैंसों और पहाड़ी मैना का संरक्षण: राज्य पशु 'वन भैंसा' और राज्य पक्षी 'पहाड़ी मैना' को बचाने के लिए भी विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। पहाड़ी मैना के संरक्षण के लिए तो "मैना मित्र" समूह भी बनाया गया है, जो इनके रहवास की निगरानी करता है।
- पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा: सरकार टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क में सुविधाएं बढ़ा रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक यहां आएं।] इससे न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
यह सफलता दिखाती है कि अगर सही नीयत और ठोस प्रयासों के साथ काम किया जाए, तो प्रकृति का संतुलन फिर से लौटाया जा सकता है
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